जालंधर, (संजय शर्मा/विशाल)-नाजायज कॉलोनियों की आरटीआई डालने वाले सिमरनजीत सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद कांग्रेसी नेता व पूर्व पार्षद मेजर सिंह अपने ही खोदे हुए गड्ढे में गिरते नजर आ रहे हैं मेजर सिंह को अब हाईकोर्ट में भी बुरी तरह से चुनौती मिली है। जालंधर में आरटीआई एक्टिविस्ट सिमरजीत सिंह के खिलाफ मामला दर्ज करवाने के बाद अब मेजर सिंह उसी मामले में बुरे फंसते नजर आ रहे हैं। इससे पहले मेजर सिंह ने जालंधर कांग्रेस के सीनियर नेता तजिंदरर बिट्टू पर भी गंभीर आरोप लगाए थे पर बाद में उन्होंने अपने आरोपों को बदलने के लिए कई दांवपेच लड़ाई जिस में भी उनका यू टर्न लेना आश्चर्य था।खादी बोर्ड के डायरेक्टर मेजर सिंह द्वारा हाईकोर्ट में डाली गयी याचिका पर अब केस की जांच आईपीएस अधिकारी के हाथ होगी। यानी अब दूध का दूध और पानी का पानी होना तय है और साथ ही सिमरनजीत सिंह की मेडिको लीगल रिपोर्ट पर कार्यवाही भी होगी। आईपीएस अधिकारी की जांच निष्पक्ष होगी, ऐसा तय है क्योंकि मामला हाईकोर्ट में जा चुका है। इतना ही नहीं, सिमरनजीत सिंह ने जो अवैध कॉलोनियों व इमारतों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है, जांच के दौरान आईपीएस को इस तथ्य को भी ध्यान में रखना होगा।
हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए साफ किया है कि इसका मेजर सिंह द्वारा की गई शिकायत पर तीन सप्ताह में आईपीएस अधिकारी को फैसला लेना होगा।
मेजर सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कि आरटीआईए एक्टिविस्ट सिमरनजीत सिंह ने पॉवरफुल कांग्रेसी नेता के संरक्षण से पंजाब सरकार के हजारों करोड़ रुपये के राजस्व को नुकसान पहुंचाया है। करीब 270 शिकायतों को सिमरनजीत सिंह ने वापस ले लिया। सिमरनजीत सिंह व पॉवरफुल नेता के कारण ही पंजाब सरकार को दो हजार करोड़ का का राजस्व नुकसान हुआ है। मेजर सिंह ने यह भी कहा कि उससे अवैध वसूली करने के लिये जब सिमनरजीत सिंह उसके पास पुड्डा कार्यालय के निकट आया था तो उस दौरान उसका एक साथी रिवाल्वर लेकर फरार हो गया था। फरार होने वाले ने रिवाल्वर भी मेजर सिंह पर तानी थी। पुलिस केस में आर्मज एक्ट की धारा का इस्तेमाल भी नहीं कर रही है।
वीरवार को हाईकोर्ट ने इस मामले में आदेश जारी किये कि मामले की जांच आईपीएस अधिकारी को सौंपी जाए और मेजर सिंह की शिकायत का निपटारा भी तीन सप्ताह के भीतर किया जाए। जिक्रयोग है कि कुछ दिन पहले सिमरनजीत सिंह व खादी बोर्ड के डायरेक्टर मेजर सिंह के बीच मारपीट हो गयी थी। मेजर सिंह का आरोप था कि आरटीआई एक्टिविस्ट मेजर सिंह उसकी शिकायतों को डालकर ब्लैकमेल कर रहा था और पुड्डा कार्यालय के पास जब बुलाया गया तो उससे पांच लाख रुपये की मांग की। जब उसने डेढ़ लाख रुपये दिये तो सिरमनजीत सिंह के साथ बहसबाजी हो गयी। सिमरनजीत सिंह के एक साथी ने रिवाल्वर तान दी और फरार हो गया। बारादरी थाना की पुलिस ने धारा 384 अवैध वसूली का मामला सिमरनजीत सिंह के खिलाफ दर्ज कर लिया था। सिमरनजीत सिंह को भी चोट लगे थे, जिसकी मेडिको लीगल रिपोर्ट पर पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की।
मेजर सिंह याचिका डालकर खुद चक्करव्यूह में घिरते नजर आ रहे हैं। मेजर सिंह की याचिका के बाद आईपीएस अधिकारी जांच करेंगे तो यह राजनीतिक दवाब में नहीं होगी। मेजर सिंह की याचिका पर फैसला होने से उलटा सिमरनजीत सिंह के खेमे में खुशी का माहौल है। सिमरनजीत सिंह आगे ही आरोप लगा चुका है कि उस पर अवैध वसूली का झूठा मामला दर्ज किया गया है। वहीं सिमरनजीत सिंह का कहना है कि अवैध कॉलोनियों का मामला वह जल्द ही प्रवर्तन निदेशालय के पास ले जाएंगे क्योंकि इसमें काला धन शामिल है।