जालंधर, डिप्टी कमिश्नर डा.हिमांशु अग्रवाल के दिशा- निर्देशों अनुसार रबी की फ़सलों की बिजाई के लिए जहाँ ज़िले में डी.ए.पी. खाद की उपलब्धता यकीनी बनाई जा रही है वहीं किसानों को डी.ए.पी.के विकल्पों के बारे भी जागरूक किया जा रहा है।
कृषि विभाग ,एग्री एक्स्टेंशन वर्करों के द्वारा ज़िले के अलग- अलग ब्लाकों के गाँवों में किसानों तक पहुँच कर उनको धान की पराली के उचित प्रबंधन के लिए प्रेरित कर रहा है साथ ही गेहूँ और आलू की बिजाई के लिए डी.ए.पी. के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली फास्फोरस तत्व वाली अन्य खाद्यों संबंधी जानकारी दी जा रही है।
कृषि एक्स्टेंशन अधिकारी भोगपुर सुरिंदरपाल सिंह ने किसानों को वातावरण की संभाल के लिए पराली के उचित प्रबंधन के लिए उत्साहित करने के इलावा डी.ए.पी. पर अपनी निर्भरता कम करने की अपील की। उन्होंने किसानों को जागरूक करते हुए बताया कि डी.ए.पी.के विकल्प के तौर पर ट्रिपल सुपर फास्फेट ( 0:46:0), एन.पी.के 12:32:16, सिंगल सुपर फास्फेट एन.पी.के. 16:16:16 और नाइट्रो फास्फेट 20:20:13 खाद का भी प्रयोग किया जा सकता है, जोकि फसलों के लिए बहुत उपयोगी है। उन्होंने कहा कि उक्त फास्फोरस तत्व वाली खाद में से किसी भी उर्वरक को डी.ए.पी. के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इन खाद के प्रयोग से मिट्टी के आवश्यक तत्व मौजूद रहते है और फसल पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।