जालंधर, पराली जलाने की समस्या को रोकने के लिए भोगपुर सहकारी चीनी मिल पहली बार रोजाना 400 मीट्रिक टन धान की पराली जलाकर हर घंटे 10 मेगावाट बिजली पैदा कर रही है।
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अनुसार अभी तक भोगपुर और उसके आस-पास के इलाके में पराली जलाने का कोई मामला सामने नहीं आया है।
मिल द्वारा किसानों से सीधे तौर पर 180 से 250 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से पराली की खरीद कर मिल रोजाना 400 मीट्रिक टन पराली का उपयोग कर हर घंटे 10 मैगावाट बिजली पैदा कर रही है।
इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए डिप्टी कमिश्नर विशेष सारंगल ने बताया कि चालू सीजन के दौरान 40,000 मीट्रिक टन धान की पराली और 10,000 मीट्रिक टन गन्ना खरीदने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि मिल 7 महीने तक धान की पराली और 5 महीने तक गन्ने के बुरादे का इस्तेमाल करेगी।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने इस कटाई सीजन के दौरान एक्स-सीटू प्रबंधन के माध्यम से 2.36 लाख मीट्रिक टन धान के पराली को संरक्षित करने की योजना तैयार की है। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन के पास करीब 60 बेलर है, जो तीन से पांच क्विंटल तक गांठ तैयार कर सकते है। ये गांठें जिले के किसानों या कृषि समूहों द्वारा सीधे उद्योगों को बेची जाएंगी।
डिप्टी कमिश्नर ने किसानों से अपील की कि वे धान की पराली को सीधे मिल में बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित करें और पराली जलाने पर पैसा खर्च न करें।
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के इंजीनियर संदीप कुमार ने कहा कि चीनी मिल ने एक पावर प्लांट लगाया है और फसलों के कचरे का उपयोग प्रतिदिन बिजली बनाने के लिए किया जा रहा है और इस बिजली को सरकार को बेचा जा रहा है।उन्होंने कहा कि धान की पराली का उपयोग कर बिजली पैदा करने से जहां धान की पराली को आग लगाने से निजात मिलेगी, वहीं लोगों को स्वच्छ वातावरण भी मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक भोगपुर और उसके आसपास धान की पराली को आग लगाने का कोई मामला सामने नहीं आया है।