के.एम.वी. प्रिंसिपल विभिन्न पहलुओं की महत्वपूर्ण जानकारी छात्राओं से सांझा करने के लिए स्रोत वक्ता के प्रति आभार व्यक्त किया

जालंधर द्वारा डी.बी.टी. स्टार कॉलेज स्टेटस के अंतर्गत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट जिनोम रिसर्च, नई दिल्ली के वैज्ञानिकों के साथ साइंस सेतु प्रोग्राम के अंतर्गत आयोजित श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए एक और वर्चुअल इंटरेक्शन का आयोजन करवाया गया. डॉ. आलोक के. सिन्हा, साइंटिस्ट VII, एन.आई. पी.जी.आर. सिगनल ट्रांसडक्शन इन प्लांट्स एंड प्रोटीन-प्रोटीन इंटरेक्शंस विषय के साथ प्रतिभागियों के रूबरू हुए. अपने संबोधन के दौरान उन्होंने सिगनल ट्रांसडक्शन को परिभाषित करते हुए सिगनल्स रिसेप्टर्स तथा रिवर्स फास्फोर्यलेशन की रूपरेखा के बारे में बात की. इसके अलावा उन्होंने सिग्नल के साधारण पहलूओं, सिगनलिंग की किस्मों, एमप्लीफिकेशन, रिसेप्टर्स की भूमिका तथा श्रेणियों के बारे में विस्तार से चर्चा की और साथ ही
मंमब्रेशन में रिसेप्टर्स की विभिन्न किस्मों तथा सिगनल ट्रांसडक्शन में इनके रोल के संबंध में भी बात की. इसके साथ ही उन्होंने प्रोटीन-प्रोटीन इंटरेक्शन की छानबीन के लिए विशेष तौर पर चार महत्वपूर्ण विधियों के संबंध में जानकारी प्रदान की. प्रोटीन-प्रोटीन इंटरेक्शन की मैकेनिज्म को उन्होंने ईस्ट टू हाइब्रिड सिस्टम के द्वारा खूबसूरती से समझाया. अंत में उन्होंने समूह प्रतिभागियों को विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में शोध कार्य के लिए उत्साहित किया. डॉ. अमरजीत सिंह वैज्ञानिक एन.आई.पी.जी.आर. के द्वारा प्रतिभागियों की ओर से पूछे गए विभिन्न सवालों के जवाब सरल ढंग से दिए गए. विद्यालय प्रिंसिपल प्रो. अतिमा शर्मा द्विवेदी ने इस अवसर पर संबोधित होते हुए विषय के विभिन्न पहलुओं की महत्वपूर्ण जानकारी छात्राओं से सांझा करने के लिए स्रोत वक्ता के प्रति आभार व्यक्त किया और साथ ही आयोजक मंडल द्वारा इस इंटरेक्शन के आयोजन के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की. उन्होंने कहा कि कन्या महाविद्यालय में सदा ऐसा माहौल पैदा करने के लिए यत्न किए जाते हैं जिनमें रहकर छात्राएं ना केवल उच्च शिक्षा हासिल कर सके बल्कि शोध के क्षेत्र में कार्य करने के लिए भी प्रोत्साहित हो सके. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि साइंस सेतु प्रोग्राम के अंतर्गत आयोजित हो रहे
विभिन्न प्रोग्राम जहां विद्यार्थियों को विज्ञान के विभिन्न पहलुओं के प्रति जानकारी प्रदान कर रहे हैं वहीं साथ ही अंडर ग्रेजुएट स्तर के विद्यार्थियों के लिए उच्च कोटि की रिसर्च के बारे में जानना अपने आप में एक विशेष उपलब्धि है.

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