दिव्य ज्योति जागृति संस्थान और विश्व आयुर्वेदिक परिषद द्वारा आयोजित चार दिवसीय व्यक्तित्व विकास शिविर का समापन 22 तारीख को नूरमहल परिसर में हुआ। जिसमें पंजाब के विभिन्न कॉलेजों से 53 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। शिविर में छात्रों ने आयुर्वेदिक चिकित्सा, पंचकर्म, जैविक खेती, हर्बल गार्डन , पर्यावरण संरक्षण, और गौशाला से संबंधित ज्ञान प्राप्त किया। साथ ही, उन्होंने आत्म-संवर्धन, आध्यात्मिकता, और शारीरिक-मानसिक संतुलन जैसे व्यक्तित्व विकास के पहलुओं को भी समझा। स्वामी गिरिधरनंद जी ने छात्रों को नैतिक मूल्यों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि सच्चाई, ईमानदारी, और सहानुभूति जैसे मूल्य हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन को सुधार सकते हैं। स्वामी जी ने छात्रों को प्रेरित किया कि वे इन मूल्यों को अपने दैनिक जीवन में अपनाएं और दूसरों की सहायता करना।
डॉ. मधुरिमा ने अनुशासन और संस्कारों के प्रति जागरूकता के महत्व को विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि अनुशासन से बच्चों में आत्म-नियंत्रण और जिम्मेदारी विकसित होती है, जबकि संस्कार उन्हें नैतिक मूल्यों और सहानुभूति का पाठ पढ़ाते हैं। यह दोनों तत्व मिलकर बच्चों के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे वे एक सकारात्मक और संतुलित जीवन जी सकें। उन्होंने इस व्यक्तित्व विकास शिविर की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए उपस्थित डॉ. जय प्रकाश, डॉ. बलदेव सिंह बग्गा , डॉ. अश्वनी भार्गव , डॉ. दीपक गोयल, डॉ. हरिंदर भुई, डॉ. अनिल कुमार, राजू योगाचार्य जी, अविनाश जी, अनिल जी और दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की टीम का हार्दिक धन्यवाद किया। उनका प्रयास बच्चों के चरित्र निर्माण और नैतिक विकास में एक नई दिशा प्रदान करता है।
समापन के अवसर पर विश्व आयुर्वेदिक परिषद की ओर से दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के प्रतिनिधियों- स्वामी गिरिधरानन्द, स्वामी गुरुशरणानंद, स्वामी इन्द्रेशानंद को विशेष सम्मान दिया गया। अंत में छात्रों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए और उन्हें संस्थान के प्रकल्पों में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया गया। कुल मिलाकर, यह शिविर छात्रों के लिए अत्यंत शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक साबित हुआ।