जालंधर, चार दिवसीय विवेक विकास शिविर का आयोजन विश्व आयुर्वेद परिषद और दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान डी. जे. जे. एस. के संयुक्त प्रयास से डी. जे. जे. एस.परिसर नूरमहल में किया गया। इस शिविर में पंजाब के विभिन्न कॉलेजों से 50 से अधिक बी. ए. एम. एस. छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
शिविर की शुरुआत दीप प्रज्वलन समारोह से हुई, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में स्वामी चिन्मयानंद जी उपस्थित रहे। पहले दिन छात्रों ने डी. जे. जे. एस. द्वारा संचालित परियोजनाओं के माध्यम से बागवानी और कृषि के बारे में जानकारी प्राप्त की। स्वामी इंद्रेशानंद जी ने जैविक खेती और वर्मी कंपोस्टिंग पर मूल्यवान जानकारी दी, जिससे टिकाऊ कृषि प्रथाओं को बढ़ावा मिला।
स्वामी चिन्मयानंद जी ने दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान डी. जे. जे. एस. के बारे में बताया, जो श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा स्थापित एक आध्यात्मिक और सामाजिक संगठन है, जो समग्र मानव विकास के लिए समर्पित है। डी. जे. जे. एस. का मुख्य उद्देश्य आध्यात्मिक जागरूकता फैलाना और शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, पर्यावरण, और लैंगिक समानता के माध्यम से समाज कल्याण को बढ़ावा देना है। संगठन का मिशन व्यक्तियों को सशक्त बनाना और आंतरिक जागरण और वैश्विक शांति को प्रोत्साहित करना है।
आश्वनी भार्गव जी ने विश्व आयुर्वेद परिषद की विचारधारा पर प्रकाश डाला, जो समग्र स्वास्थ्य और कल्याण के लिए आयुर्वेद के प्राचीन ज्ञान को बढ़ावा देने पर जोर देती है। परिषद शिक्षकों, छात्रों, आयुर्वेद चिकित्सकों, औषधि निर्माताओं, शोधकर्ताओं और अन्य संबंधित हितधारकों के बीच आयुर्वेद की समझ को गहरा करने के लिए सेमिनार, कार्यशालाओं और जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करती है।
डॉ. दीपक गोयल जी ने पंजाब में आयुर्वेद शिक्षा और अभ्यास को सुदृढ़ करने के लिए तीव्रता से काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया। डॉ. बलदेव सिंह बग्गा ने डी. जे. जे. एस. का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने आयुर्वेद छात्रों को संस्थान द्वारा संचालित विभिन्न परियोजनाओं को देखने का अवसर प्रदान किया। इस अवसर पर श्री आशुतोष महाराज आयुर्वेदिक फार्मेसी से स्वामी गुरुशरणानंद (संयोजक फार्मेसी), शिशु ठाकुर, डॉ. जय प्रकाश एवं विश्व आयुर्वेद परिषद से डॉ. मधुरिमा, डॉ. एस.डी. पांडे, डॉ. एन.पी. लाल, डॉ. सुधीर तुरी, डॉ. हरिंदर भुई, डॉ. गगनदीप, डॉ. चंद्रशेखर, और डॉ. भूपिंदर सिंह भी उपस्थित रहे।