जो अपने भगवान के लिए सब कुछ न्योछावर कर दें : नवजीत भारद्वाज

जालंधर, (संजय शर्मा)-मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नजदीक लम्मां पिंड चौक में मां बगलामुखी जी के निमित्त श्रृंखलाबद्ध दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन मंदिर परिसर में मां बगलामुखी धाम के संचालक एवं संस्थापक नवजीत भारद्वाज की देख-रेख में हुआ। सर्व प्रथम मुख्य यजमान प्रदीप वर्मा से सपरिवार वैदिक रीति अनुसार गौरी गणेश, नवग्रह, पंचोपचार, षोडशोपचार, कलश, पूजन उपरांत ब्राह्मणों ने आए हुए सभी भक्तों से हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई। मां बगलामुखी जी के निमित्त भी माला मंत्र जाप एवं हवन यज्ञ में विशेष रूप आहुतियां डाली गई। हवन-यज्ञ की पूर्णाहुति के उपरांत नवजीत भारद्वाज ने आए हुए मां भक्तों को भगवान के प्रति आस्था के भावों का ब्याख्यान करते हुए कहा कि भक्त होना आसान नहीं है। भक्ति को जीवन में वही उतार सकता है, जो अपने भगवान के लिए सब कुछ न्योछावर करने को तैयार रहता है। सच्चा भक्त वहीं है, जो भगवान के लिए नरक जाने तक को तैयार हो जाए। उक्त उद्गार प्रसिद्ध मां बगलामुखी मंदिर के संस्थापक एवं संचालक नवजीत भारद्वाज जी ने किए। आए हुए मां भक्तों के लिए नवजीत भारद्वाज जी ने *प्रित अपने प्रभु दे नालो तोड ना तेरा इस जग विच बंदे कोई होर ना*
भजन का सुमधुर स्वर में गायन किया। नवजीत भारद्वाज जी ने भगवान के प्रति भक्त की भक्ति कैसी होनी चाहिए। इसे एक कथा के माध्यम से स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि नारद मुनि ने भगवान कृष्ण से पूछा कि आपके कितने भक्त हैं तो उनका जवाब था कि कोई बिरला ही मेरा भक्त है। यह जवाब सुनकर नारद मुनि आश्चर्य चकित हो गए और उन्होंने भगवान से पूछा ऐसा कैसे संभव है। इस पर मुस्कराते हुए श्री कृष्ण भगवान बोले कि समय आने पर मैं इसका उत्तर दूंगा। एक दिन जब नारद ऋषि कृष्ण भगवान के पास पहुंचे तो वह पेट के दर्द से बुरी तरह तड़प रहे थे। कोई भी दवा उन पर असर नहीं कर रही थी। इस पर नारदजी ने उनसे पूछा कि ऐसा दर्द पहले आपको कभी हुआ है। तो उन्होंने कहा कि एक बार हुआ है। नारद जी फिर बोले कि कैसे ठीक हुआ तो भगवान कृष्ण का जवाब था कि किसी सच्चे भक्त ने अपने चरणों की रज (धूल) मेरे पेट पर लगा दी और मैं ठीक हो गया। नारदजी बोले कि तमाम भक्त हैं, कोई भी ऐसा कर सकता है। इस पर भगवान का जवाब था कि लेकिन जो भी भक्त अपने चरणों की रज (धूल) मेरे पेट पर लगाएगा, उसे नरक जाना पड़ेगा। बड़ी मुश्किल से नारद मुनि एक किसान को ढूढक़र लाए। उसने कहा कि भगवान के आनंद के लिए मैं नरक जाने को तैयार हूं। नारद उसे लेकर भगवान के पास आए तो भगवान ठीक थे, और मुस्करा रहे थे। उनका जवाब था कि नारद तुम्हारे सवाल का यही जवाब है। सच्चा भक्त वहीं है, जो समर्पण की पराकाष्ठा रखता हो। उसे अपने सुख-दुख से कोई सरोकार नहीं है। सिर्फ भगवान की फिक्र है। नवजीत भारद्वाज जी ने इस उदाहरण से स्पष्ट किया कि सच्ची भक्ति यही है। ऐसी भक्ति जब साकार होती है, तब ही भगवान मिलते हैं। गुरु का आशीर्वाद भी ऐसे ही भक्तों को मिलता है।इस अवसर पर एडवोकेट राज कुमार, समीर कपूर, संजीव शर्मा,राकेश प्रभाकर, बलजिंदर सिंह, अमरजीत सिंह,वावा जोशी, नवदीप,उदय,अजीत कुमार,गुलशन शर्मा, अश्विनी शर्मा धूप वाले, मुनीश शर्मा, रिंकू सैनी, अवतार सैनी,गौरी केतन, दिशांत शर्मा,अमरेंद्र शर्मा, मानव शर्मा, बावा खन्ना, विवेक शर्मा, शाम लाल, विनोद खन्ना ,अभिलक्ष्य चुघ,सुनील,राजीव, राजन शर्मा, प्रिंस, ठाकुर बलदेव सिंह, अजीत साहू,प्रवीण, दीपक ,अनीश शर्मा, साहिल,सुनील जग्गी सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।आरती उपरांत प्रसाद रूपी विशाल लंगर भंडारे का भी आयोजन किया गया।

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