जालंधर ( संजय शर्मा)- उत्तर प्रदेश के काशी नगरी में स्थित कबीर चौरा मठ के 24वें गद्दीनशीन संत विवेका दास जी ने अपने जालंधर आगमन पर पूर्व विधायक सुशील रिंकू के निवास स्थान पर विशेष रूप से पधार कर सुशील रिंकू तथा सुनीता रिंकू के बेटे प्रथमवीर को अपना आशीर्वाद देकर रिंकू परिवार को कृतार्थ किया। पूर्व विधायक सुशील रिंकू तथा उनकी धर्मपत्नी पार्षद सुनीता रिंकू व परिवारिक सदस्यों द्वारा संत विवेका दास जी का भव्य स्वागत किया गया। शहर की धार्मिक संस्थाओं के सदस्यों द्वारा पहुंचकर महाराज जी से आशीर्वाद प्राप्त किया। संत जी ने उपस्थित लोगों को सत्गुरु रविदास जी की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सत्गुरु कबीर जी तथा सतगुरु रविदास जी महाराज दोनों गुरु भाई थे तथा रामानंद जी के शिष्य थे।भले ही रामानंद रामभक्त थे किंतु उनके शिष्यों में सगुणनिर्गुण उपासक दोनों थे। कबीर और रविदास उनके बारह शिष्यों में प्रमुख माने जाते हैं। कबीर और रविदास उदात्त मानवतावादी प्राणधारा के उन कवियों में से थे जिन्होंने मध्यकालीन युग में गरीब और हताश लोगों को अपनी वाणी से प्रोत्साहित कर उनका मार्गदर्शन किया। वर्णभेद, जातिभेद एवं सांप्रदायिकता का विरोध और निर्गुण की उपासना आदि कुछ ऐसी समानताएँ है जो हमें कबीर और रविदास दोनों में ही देखने को मिलती हैं। दोनों की पैदाइश काशी की थी और जाति से एक चमार तो दूसरा जुलाहा था। स्वयं जातिगत भेदभाव से पीड़ित होने के बावजूद दोनों ही कवियों ने छाती ठोंककर अपनी जाति का उल्लेख अपनी वाणियों में किया।
इस अवसर पर सुरेंद्र चौधरी, पार्षद तरसेम लखोत्रा, पार्षद भचन लाल, बलबीर अंगुराल, वीरेंद्र काली, अजय बबल, मोंटू सिंह, दीपू भगत, पवन कौशल, रमेश भगत, कीमती भगत, ओमप्रकाश भगत, इंदरजीत सिंह भगत, मदन लाल भगत, रमेश चंद्र दीना नगर, मनोहर लाल, रतन लाल, सुखविंदर सिंह, महेंद्र पाल, शिवा सोढी, अश्वनी जंगराल एवं बड़ी संख्या में संगत उपस्थित थी।