जालंधर (विशाल /रोजाना आजतक ) पराली जलने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए खेतीबाड़ी व किसान कल्याण विभाग की तरफ से चलाए जा रहे कस्टम हायरिंग सेंटर्स किसानों के लिए वरदान साबित होने लगे हैं। ये सेंटर्स पराली प्रबंधन के मामले में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। इन सेंटर्स के जरिए पराली प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनरी हैप्पी सीडर, रोटावेटर, पैडी कटर कम शरेडर, मल्चर व जीरो टिल ड्रिल जैसी मशीनें किसानों को बेहद सुलभता के साथ किराए पर मुहैया करवाई जा रही है। जो किसान मशीनरी नहीं खरीद सकते, वे इन कस्टम हायरिंग सेंटर्स के जरिए मशीनरी किराए पर ले रहे हैं।डीसी घनश्याम थोरी ने बताया कि इन-सीटू क्रॉप मैनजमेंट के तहत किसानों को कस्टम हायरिंग सेंटर्स के जरिए मशीनरी उपलब्ध करवाई जा रही है ताकि अगली फसल बीजने के लिए किसानों को पराली को आग न लगानी पड़े और पराली के अवशेषों को गेहूं की बिजाई के वक्त मिट्टी में ही मिक्स कर दिया जाए।उन्होंने बताया कि साल 2014-15 में सरकार ने 43 कस्टम हायरिंग सेंटर्स स्थापित किए थे जोकि अब बढ़कर 750 पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि सेंटर्स की बढ़ी हुई संख्या किसानों के रुझानों को दर्शाती है। डीसी ने बताया कि सरकार द्वारा जारी निर्देशों के मुताबिक इन सेंटर्स को छोटे व मार्जिनल किसानों से किराया नहीं वसूलने के लिए कहा गया है। उन्होंने बताया कि जालंधर में करीब 13000 छोटे व मझोले किसान हैं, जोकि 15000 हेक्टेयर भूमि पर खेती करते हैं।कस्टम हायरिंग सेंटर्स के जरिए इन किसानों को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने बताया कि कृषि व किसान कल्याण विभाग की तरफ से पहले ही पराली जलाने के दुष्प्रभावों के बारे में किसानों को जागरूक किया जा रहा है और एक खास जागरूकता मुहिम चलाई जा रही है। डीसी ने बताया कि पराली से न सिर्फ वातावरण को नुकसान पहुंचता है बल्कि कोरोना वायरस से प्रभावित मरीजों की स्थिति इस धुएं से और भी ज्यादा खराब हो सकती है।मुख्य खेतीबाड़ी अधिकारी डॉ. सुरिंदर सिंह ने बताया कि ये मशीनें किसानों को पराली प्रबंधन की दिशा में बेहतर नतीजे उपलब्ध करवा रही हैं। इसलिए इन मशीनों के जरिए पराली संभालने की दिशा में किसानों का रुझान लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि डिपार्टमेंट द्वारा प्रत्येक किसानों को कस्टम हायरिंग सेंटर्स के जरिए मशीनरी उपलब्ध करवाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है, ताकि पराली जलाने की घटनाओं को रोका जा सके।उन्होंने बताया अगर पराली को जमीन में ही मिक्स कर दिया जाए तो उससे भूमि के अंदर मौजूद 2000 पौषक तत्व बचाए जा सकते हैं। इसके लिए जरूरी मशीनें जैसे हैप्पी सीडर, रोटावेटर, पैडी कटर कम शरेडर, पैडी चौपर, मलसर इत्यादि इन सेंटर्स के जरिए किसानों के लिए उपलब्ध हैं