जालंधर, डी.ए.पी. उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए डिप्टी कमिश्नर डा. हिमांशु अग्रवाल द्वारा कृषि विभाग को खाद विक्रेताओं की लगातार जांच करने के दिए गए सख्त निर्देश के बाद विभाग ने आज चेकिंग अभियान चलाया, इस दौरान खाद विक्रेताओं की 10 दुकानों और गोदामों की जांच की गई और 6 नमूने भरने के अलावा दुकानों में पडी खाद की भी जांच की।
जांच टीमों में ब्लॉक कृषि अधिकारी डा. सुरजीत सिंह, कृषि विकास अधिकारी मीनाक्षी कौशल व अमरीक सिंह व अन्य स्टाफ मौजूद रहा।
ब्लॉक कृषि पदाधिकारी डा. सुरजीत सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि चेकिंग के दौरान भरे गए सैंपलों को जांच के लिए लेबोरेट्री में भेजा जाएगा और रिपोर्ट आने के बाद उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि चेकिंग के दौरान उर्वरक विक्रेताओं को स्टॉक बोर्ड पर प्रतिदिन उर्वरक का स्टॉक एवं रेट लिखने तथा किसानों को जो भी कृषि सामग्री बेची जाती है उसका पक्का बिल काटने तथा अनावश्यक सामान खाद के साथ न देने का निर्देश दिया गया।
उन्होंने कहा कि यह अभियान आने वाले दिनों में भी जारी रहेगा और यदि कोई उर्वरक विक्रेता/डीलर बिना बिल के उर्वरक, दवा या बीज बेचता पाया गया तो उसके खिलाफ उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
डा.सुरजीत सिंह ने बताया कि गेहूं की खेती के लिए फास्फोरस खाद्य तत्व की आवश्यकता होती है, जिसके लिए किसान बिजाई के समय डीएपी उर्वरक का प्रयोग करते है। उन्होंने कहा कि डी.ए.पी उर्वरक विकल्प के रूप में किसान ट्रिपल सुपर फॉस्फेट, सिंगल सुपर फॉस्फेट और अन्य फास्फोरस युक्त उर्वरकों का भी उपयोग कर सकते हैं।
उन्होंने किसानों से उर्वरक, कीटनाशक रसायन या बीज खरीदते समय दुकानदार से बिल लेने की भी अपील की और कहा कि यदि कोई डीलर बिल देने से इंकार करता है तो इसकी शिकायत संबंधित कृषि अधिकारी या मुख्य कृषि अधिकारी से की जा सकती है।