जालंधर, (संजय शर्मा)-नूरमहल आश्रम में कैंप के द्वितीय सैशन में 10 से 12 वर्ष की आयु वाले बच्चों को सम्मलित किया गया। कैंप के प्रथम दिवस में बच्चों के मानसिक विकास को बढ़ावा देने के लिए मनोविज्ञानिक क्रियाएं आयोजित की गईं। इन क्रियाओं में साध्वी कंवल भारती जी ने बच्चों को मानसिक चुनौतियों का सामना करने और समस्याओं का हल निकालने के लिए तैयार किया। साध्वी जी ने स्वामी विवेकानंद जी के जीवन की मिसाल देते हुए बताया कि कैसे नकारात्मकता को सकारात्मकता में परिवर्तित किया जा सकता है। आजकल के समय में बच्चों को अपने शास्त्रों के बारे में ज्यादा ज्ञान नहीं होता है। इसी कारण कई बार बच्चों में संस्कारों की कमी भी देखी जाती है। वर्तमान परिवेश को देखते हुए साध्वी जी ने बच्चों को श्लोक भी सिखाए, जिनमें ईश्वर से सभी के हित्त की प्रार्थना शामिल थी। इससे बच्चों में सामाजिक और आध्यात्मिक मूल्यों की समझ बढ़ी और उन्हें एक सकारात्मक दिशा मिली। इसके बाद कैंप में सम्मिलित बच्चों के माता-पिता की अलग से “पॉजिटिव पेरेंटिंग” मीटिंग ली गई। जिसमें साध्वी राजवंत भारती जी ने बताया कि मां-बाप को बच्चों के पहले शिक्षक कहा जाता है बच्चा जो घर में देखता है, सुनता है वही सीखता है। आपका स्वभाव बिना कुछ बोले ही आपके बच्चों को बहुत कुछ सिखा जाता है। इसलिए बच्चों के स्वभाव को अगर आप बदलना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपने स्वभाव को बदलना होगा। आज हर मां बाप अपने बच्चों को हर सुख सुविधा देना चाहता है, लेकिन हमें यह भी ध्यान देना होगा कि कहीं ज्यादा सुविधाएं आपके बच्चों को बिगाड़ न दें। प्यार के साथ-साथ बच्चों की गलती पर उन्हें डांटना भी जरूरी है। लेकिन हमेशा डांटते रहना भी ठीक नहीं। जीवन में संतुलन का होना बहुत जरूरी है। अगर खड़े व्यक्ति का संतुलन बिगड़ जाए तो उसे चोट लग सकती है। ठीक उसी तरह अगर हमारा स्वभाव ही संतुलित नहीं हुआ तो इमोशनली और मेंटली आपके बच्चे प्रभावित होंगे। जो उनके मानसिक और शारीरिक विकास के लिए नुकसानदायक है।