कौन हैं मनोज मुंतशिर, ‘आदिपुरुष’ के लिए लिखे ‘छपरी’ डायलॉग, जमकर हुए ट्रोल, जानिए पूरा करियर

एक सीन में रावण का राक्षस कहता है, ‘तेरी बुआ का बगीचा है कि हवा खाने चला आया’. फिल्म आदिपुरुष के ऐसे डायलॉग मनोज मुंतशिर ने लिखे हैं, जिसकी वजह से सोशल मीडिया पर उन्हें जमकर ट्रोल किया जा रहा है. फिल्म की रिलीज के बाद से ही यूजर्स मनोज खरी-खोटी सुना रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मनोज मुतशिर कौन हैं और उन्होंने कैसे बॉलीवुड में सफलता पाई. अगर नहीं जानते हैं तो हम आपको बताते हैंमनोज मुंतशिर का जन्म उत्तर प्रदेश के गौरीगंज में 27 फरवरी, 1976 को हुआ था. उनके पिता किसान और मां टीचर रही हैं. उनका असली नाम मनोज शुक्ला है और मुंतशिर उनका पेन नाम है. मनोज मुंतशिर को बहुत उम्र में कविताएं लिखने का शौक चढ़ गया था. वह अक्सर मुशायरों में अपनी कविताएं पढ़ा करते थे वह मुंबई जाने से पहले प्रयागराज में ऑल इंडिया रेडियो में काम करते थे, जिसके बदले में उन्हें महज 135 रुपये मिलते थे. एक इंटरव्यू में मनोज मुंतशिर ने बताया कि वह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कंप्लीट करने के बाद मुंबई पहुंच गए थे. साल 1999 में मनोज ने अपने मुंबई जाने के लिए अपने पिता से 300 रुपये मांगे थे, लेकिन पिता ने उन्हें 700 रुपये दिए थे, जिसमें वापसी का किराया भी शामिल था

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