नई दिल्ली, अमेरिका के सबसे बड़े बैंकों में शामिल सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) जो अमेरिका में कई टेक कंपनियों और प्रौद्योगिकी स्टार्टअप्स को पैसा उधार देने के लिए जाना जाता है, को शुक्रवार को अमेरिकी रेगुलेटर्स के आदेश के बाद बंद कर दिया गया। इस कदम से शुक्रवार को वैश्विक बाजारों में भी तेजी से गिरावट आई और बैंक शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई। सिलिकॉन वैली बैंक को शुक्रवार को कैलिफोर्निया के बैंकिंग नियामकों द्वारा बंद कर दिया गया। 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से अमेरिका में यह सबसे बड़ी रिटेल बैंकिंग विफलता है। बैंक बंद करने के साथ ही फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (FDIC) को बैंक का रिसीवर नियुक्त किया गया है। बैंकों में जमा ग्राहकों की राशि की सुरक्षा की जिम्मेदारी FDIC को ही सौंपी गई है। इससे पहले प्री-मार्केट ट्रेडिंग में बैंक के शेयरों में 66 फीसदी की गिरावट दर्ज होने के बाद इसे कारोबार से रोक दिया गया था। यह कदम उस नाटकीय 48 घंटों के बाद उठाया गया, जिसमें देखा गया कि हाईटेक कंपनियों को ऋण देने वाले बैंक के शेयरों की कीमत में भारी गिरावट देखी गई। टेक स्टार्टअप्स में निवेश करके बहुत बड़ी दौलत कमाने के बाद सिलिकॉन वैली बैंक ने अपनी अधिकांश संपत्ति अमेरिकी बांडों में निवेश की थी। अमेरिका में मुद्रास्फीति की दरों को कम करने के लिए अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने पिछले साल ब्याज दरों में वृद्धि शुरू की थी, जिसके परिणामस्वरूप अमेरिकी बांड मूल्य नीचे जा रहे थे। इतना ही नहीं,कोविड महामारी के बाद स्टार्टअप फंडिंग भी कम होने लगी थी, जिसके परिणामस्वरूप बैंक के ग्राहक बड़ी संख्या में पैसे निकालने लगे थे। उनके अनुरोधों का सम्मान करने के लिए तब सिलिकॉन वैली बैंक को अपने कुछ निवेशों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा था, हालांकि उनके मूल्य में भी गिरावट आई थी। इस हफ्ते की शुरुआत में एक खुलासे में सिलिकॉन वैली बैंक ने कहा था कि उसे करीब 2 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। बैंक के बंद होने के बाद,ग्राहकों के जमा लगभग 175 बिलियन डॉलर की राशि अब फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (FDIC) के नियंत्रण में हैं। FDIC ने एक नया बैंक, नेशनल बैंक ऑफ़ सांता क्लारा बनाया है, जिसके पास अब सिलिकॉन वैली बैंक की सभी संपत्तियाँ होंगी।