डीएवी कॉलेज जालंधर के प्राचार्य डॉ. एस. के. अरोड़ा हुए सेवानिवृत्त

डीएवी, कॉलेज जालंधर के प्राचार्य डॉ. एस. के. अरोड़ा सफल कार्यकाल पूरा करते हुए 31 मार्च 2022 को प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए। बतौर 17वें प्राचार्य उनकी सेवानिवृत्ति कॉलेज के लिए ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। डीएवी कॉलेज जालंधर में प्राचार्य डॉ. अरोड़ा का पाँच वर्ष से अधिक का सफल कार्यकाल रहा। इस से पहले डॉ. अरोड़ा डीएवी कॉलेज बनीखेत, डीएवी कॉलेज बटाला, डीएवी कॉलेज अबोहर के भी प्राचार्य रहे। उनकी सेवानिवृत्ति के अवसर पर स्टाफ कॉउन्सिल की तरफ से विदायगी समारोह का भव्य आयोजन किया गया। इस समारोह के आरंभ में स्टाफ सेक्रेटरी प्रो. विपन झांजी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए डॉ. अरोड़ा की सेवाओं का उल्लेख किया। इस अवसर पर हंसराज महिला महाविद्यालय जालन्धर की प्राचार्या डॉ. अजय सरीन ने डीएवी परिवार की तरफ से सभी का स्वागत करते हुए डॉ. अरोड़ा की प्रशासनिक कुशलता की सराहना की व स्वस्थ, समृद्ध, सुखी जीवन व दीर्घायु हेतु शुभकामनाएं प्रेषित की। तत्पश्चात उप-प्राचार्य प्रो. सलिल उप्पल ने अपने सम्बोधन में डॉ. अरोड़ा के साथ बिताए समय को याद करते हुए कहा कि डॉ. अरोड़ा निष्ठावान व कर्मठ व्यक्तित्व के धनी है।
इस अवसर पर डीएवी कॉलेज मैनेजिंग कमेटी नई दिल्ली के उप-प्रधान डॉ. हंसराज गंधार ने डॉ. अरोड़ा के नेतृत्व कौशल की प्रशंसा करते हुए कहा कि डॉ. अरोड़ा त्याग, सेवा और समर्पण की साक्षात मूर्ति है। पूर्व प्राचार्य डॉ. ऐरी ने प्राचार्य पद की गरिमा व जिम्मेदारी का जिक्र करते हुए कहा कि डॉ. अरोड़ा ने अपने कर्तव्य को बखूबी निभाया। उन्होंने डॉ. अरोड़ा के खुशहाल जीवन हेतु मंगलकामना की।
पूर्व निदेशक, उच्च शिक्षा, डीएवी कॉलेज मैनेजिंग कमेटी नई दिल्ली डॉ. सतीश शर्मा ने डॉ. अरोड़ा के शिक्षाविद व कुशल प्रबंधक होने के साथ-साथ सौम्य, सहज, मिलनसार व्यक्तित्व होने की बात कही। स्थानीय डीएवी कॉलेज प्रबंधक समिति के प्रधान श्री अरविन्द घई ने डॉ. अरोड़ा को बधाई देते हुए कहा कि उनकी कार्य क्षमता, कर्मठता, ईमानदारी, दृढ़ संकल्प, निष्ठा, सहजता अनुकरणीय है। डीएवी, कॉलेज, चंडीगढ़ के प्राचार्य डॉ. पवन कुमार शर्मा ने अपने वक्तव्य में डॉ. अरोड़ा को बहुमुखी प्रतिभा का धनी बताया।
इस अवसर पर डॉ. अरोड़ा ने अपने सम्बोधन में डीएवी परिवार से जुड़ी स्मृतियों को साझा किया। उन्होंने कहा कि वे डीएवी के सबसे नए कॉलेज में नियुक्त हुए थे और आज डीएवी के सबसे पुराने कॉलेज से सेवानिवृत्त हो रहे है। उन्होंने अपने इस मुकाम तक पहुँचने का श्रेय अपने परिवार, गुरुजनों व डीएवी संस्था को दिया।

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