PRAYAGRAJ : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि डेटिंग वेबसाइटों पर सक्रिय होना किसी के गुणों को आंकने के लिए एक पैरामीटर नहीं हो सकता है। अदालत का यह बयान आरोपी आवेदक के वकील द्वारा उठाए गए तर्क के जवाब में आया, जिसने यह साबित करने कि कोशिश की थी कि महिला का चरित्र अच्छा नहीं था। अदालत ने दुष्कर्म के एक आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया, जिसने कथित तौर पर एक महिला से डेटिंग साइट पर मिलने के बाद शादी के झूठे वादे पर उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए थे। मामले में पीड़िता और आरोपी की डेटिंग साइट पर मुलाकात हुई थी और कथित तौर पर शादी का झांसा देकर आरोपी ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। इसके बाद वह अपने वादे से मुकर गया था। महिला ने उसके खिलाफ मामला दर्ज कराया था।
आवेदक की ओर से प्रस्तुत किया गया कि वह और पीड़िता की मुलाकात एक डेटिंग साइट पर हुई थी। यह भी तर्क दिया गया कि दोनों के बीच शादी की कोई बात नहीं हुई थी और इसलिए, शादी के प्रस्ताव के नाम पर उन्होंने शारीरिक संबंध बनाए, यह आरोप सही नहीं हैं। अदालत ने कहा, डेटिंग साइट किसी के गुणों पर निर्णय लेने का संकेत नहीं हैं। केवल दो वयस्क डेटिंग साइट पर मिलते हैं। उससे मिलने, शब्दों के आदान-प्रदान से यह विश्वास पैदा हो सकता है कि दूसरा पक्ष शादी करने के लिए तैयार है और शादी के नाम पर, यदि शारीरिक संबंध की मांग की जाती है, तो यह पीड़ित को खराब कैरेक्टर वाले व्यक्ति के रूप में सहमति देने के रूप में नहीं माना जाएगा। गौतमबुद्धनगर (नोएडा) के एक अभय चोपड़ा की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज करते हुए न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने कहा कि आवेदक निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने और अदालती कार्यवाही में भाग लेने के लिए स्वतंत्र है।