CHANDIGARH : कांग्रेस पार्टी के प्रभारी हरीश रावत जैसे ही कैप्टन को मजबूती देने का एलान करते हैं, सिद्धू और उनके समर्थकों के मयानों से बयानों की तलवारें निकल आती हैं। वहीं जब रावत सिद्धू के साथ खड़े होने लगते हैं तो कैप्टन समर्थक नेता सक्रिय हो जाते हैं। प्रदेश कांग्रेस को कैसे एकजुट किया जाए, क्योंकि राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही पार्टी में विवाद तेज होते जा रहे हैं। बीते पांच माह के दौरान कैप्टन-सिद्धू विवाद के चलते हरीश रावत को बार-बार चंडीगढ़ और नई दिल्ली के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
शनिवार को रावत ने नई दिल्ली में राहुल गांधी से मिलकर नवजोत सिद्धू के बयानों की जानकारी दी। इससे पहले रावत ने शुक्रवार को देर शाम पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर उन्हें भी सिद्धू के बयानों से अवगत कराया था। इसके साथ ही उन्होंने देहरादून में उनसे मिलने पहुंचे पंजाब के कैप्टन विरोधी खेमे के नेताओं से हुई बातचीत की भी जानकारी दी। रावत ने राहुल गांधी से मुलाकात के बाद मीडिया से कहा कि पंजाब कांग्रेस में कोई विवाद नहीं है और सब कुछ ठीक है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह अगले एक-दो दिन में चंडीगढ़ पहुंचकर कैप्टन और सिद्धू की बैठक करवाकर सुलह कराने की कोशिश करेंगे। रावत के बयान से साफ है कि हाईकमान कैप्टन और सिद्धू के अलावा अन्य नेताओं को भी तरजीह देना चाहता है।