नई दिल्ली, 27 जुलाई: शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) ने पंजाब, दिल्ली और अन्य जगहों के सभी पंथिक दलों से अपील की है कि सभी 22 अगस्त को होने वाले चुनाव के मद्देनजर 46 डीएसजीएमसी वार्डों में समूची संगत से संपर्क स्थापित कर पवित्र संस्थानों के प्रबंधन से बादल और उनके साथियों को हटाने के बारे में संगत को जागरूक करें।
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हरप्रीत सिंह बनी जॉली ने सभी पंथक दलों से अपील की कि अपनी विरासत को बहाल करने और अकालियों के स्वर्णिम युग के इतिहास को एक बार फिर दोहराने के लिए डीएसजीएमसी चुनाव में करो या मरो स्थिति को समझते हुए अथक प्रयास करें।
शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के राष्ट्रीय महासचिव हरप्रीत सिंह बन्नी जॉली ने अपनी अपील में कहा कि अकाली की गौरवशाली परंपरा की बहाली का रास्ता दिल्ली से होकर गुजरता है। उन्होंने कहा कि अपनी कमाई हुई दौलत से बादल और सिरसा मीडिया व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की जानकारियों को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने हेतु नियंत्रित करते हैं। उन्होंने समाचार को एक ऐसा रंग देकर दिल्ली के सिखों पर एक मनोवैज्ञानिक युद्ध छेड़ दिया है जो वास्तव में डीएसजीएमसी से संबंधित नहीं है, बल्कि श्रीनगर, मुंबई, कोलकाता, राजस्थान, मध्य प्रदेश और अन्य स्थानों के किसानों से संबंधित मुद्दों को उठाया जाता है। सभी पंथक ताकतों का संयुक्त अभियान इस रणनीति को समाप्त कर सकता है।
बनी जॉली ने कहा कि हम सभी को आने वाले हफ्तों में एक साथ आना होगा और सिखों को माफिया से बचाने के संदेश के साथ दिल्ली के हर सिख घर तक संपर्क स्थापित करना होगा।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के लिए इससे दुर्भाग्यपूर्ण बात नहीं हो सकती कि समिति का वर्तमान मुख्य प्रबंधक गोलक लूटने के मामले में लुक आउट नोटिस का सामना कर रहा है।
आर्थिक अपराध शाखा द्वारा मनजिंदर सिंह सिरसा को लुक आउट सर्कुलर जारी करने के साथ ही डीएसजीएमसी का अध्यक्ष अब देश के उन वांछित घोटालेबाजों की श्रेणी में शामिल हो गया है जो फरार हो गए हैं।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि संगत भी पंथक समूहों से एक मजबूत प्रतिबद्धता की उम्मीद करती है कि डीएसजीएमसी की सेवा के लिए मतदान किया है तो पंथक समूह पूरी ईमानदारी के साथ काम करेंगे न कि कोई पैंतरेबाजी करेंगे।
बनी जॉली ने कहा कि यह हमारे लिए एकजुट होने का समय है जैसे अकालियों ने पूर्व समय में गुरुद्वारों का नियंत्रण महंतों से मुक्त करवाने के लिए एकजुटता दिखाई थी। आज के दौर में, महंतों (जो अब माफिया हैं) से छुटकारा पाना और बादल व सिरसा के अधीन होके अपना अस्तित्व खो रहे सिख व सिख संस्थानों का निर्माण करने का समय है। यदि हम, पंथक समूह, ने यह मौका गवां दिया तो बादल डीएसजीएमसी चुनावों को जितने के लिए हर साधन का उपयोग करेंगे और इसे आधार बनाकर धार्मिक संस्थानों पर पूर्ण नियंत्रण के लिए इसका इस्तेमाल करेंगे।