45 वर्षीय आनंद के बेटे को इलाज 10 साल से बेंगलुरु के निमहंस हॉस्पिटल में चल रहा है. कोरोना वायरस प्रकोप के कारण कर्नाटक में लॉकडाउन लगाया गया है. ऐसे में बेटे की दवाएं लाने के लिए जब आनंद को पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं मिला तो उन्होंने बेटे की जान बचाने के लिए 300 किमी का सफर साइकिल से करने का फैसला किया. वे 23 मई को घर से निकले और 26 मई को दवाएं लेकर ही वापस लौटे. खबर सामने आने पर हर कोई आनंद की हिम्मत की दाद दे रहा है. दवाएं न मिलने पर बीमार बेटे को मिर्गी के दौरे पड़ने की आशंका ज्यादा होती है. लिहाजा जब आनंद इतनी दूर तक साइकिल चलाकर हॉस्पिटल पहुंचे तो डॉक्टर भी हैरान रह गए. उन्होंने उसे एक हजार रुपये भी दिए. हालांकि इतनी साइकिल चलाने के कारण आनंद को कमर में बहुत दर्द भी हुआ. इसके लिए उन्हे दवाएं भी लेनी पड़ीं. उनकी इस लंबी यात्रा की खबर फैलते ही कई स्थानीय नेता भी उनसे मिलने पहुंचे और उसे कुछ दवाएं-राशन दिया. जब इन नेताओं की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो कई लोगों ने इन नेताओं को जमकर खरी-खोटी सुनाईं. वहीं इस घटना के बाद राजस्व मंत्री आर.अशोक ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार पाबंदियों में ढील देकर चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन को खोलने पर विचार कर रही है.