प्रधानमंत्री ने इस कानून को मंजूरी दे दी. यह कानून सभी प्रदेशों में समान रूप से लागू होगा. फैसले में कहा गया है कि मॉडल टिनेंसी एक्ट को या तो नए रूप में लागू किया जाए या फिर पहले से चले आ रहे रेंटल कानून को संशोधित कर लागू किया जाए. अब बदले या संशोधित कानून को आदर्श किराया कानून कह सकते हैं. दरअसल, मॉडल टिनेंसी एक्ट में राज्यों में इससे संबंधित अथॉरिटी बनाने का प्रस्ताव है. राज्य सरकारें किराये की प्रॉपर्टी को लेकर किसी विवाद के जल्द समाधान के लिए रेंट कोर्ट्स और रेंट ट्रिब्यूनल्स भी बना पाएंगी. प्रॉपर्टी मालिक और किरायेदार, दोनों को एग्रीमेंट साइन करने के बाद संबंधित अथॉरिटी को मासिक किराया, किराये की अवधि और मकान मालिक और किरायेदार पर रिपेयरिंग के छोटे-बड़े काम की जिम्मेदारी जैसी तमाम जानकारियां देनी होंगी. बाद में अगर कोई विवाद हुआ तो दोनों पक्ष अथॉरिटी के पास जा पाएंगे. नए कानून के बारे में कहा गया है कि यह रेंट से संबंधित पूरे कानूनी ढांचे में बड़ा बदलाव करेगा जिससे देश में रेंटल हाउसिंग में तेजी से प्रगति होगी. इससे हर तरह के विकास में तेजी देखी जाएगी. इस नए कानून की मदद से देश में रेंटल हाउसिंग मार्केट को बढ़ाने की कवायद है. सभी इनकम ग्रुप के लोगों के लिए रेंटल हाउसिंग की व्यवस्था हो सके और जिन लोगों को बेघर होने की समस्या से जूझनी पड़ती है, उन्हें भी इस कानून से बड़ी मदद मिलेगी. इस कानून पर लंबे दिनों से चर्चा चल रही थी और इसमें बड़े परिवर्तन की मांग उठाई जा रही थी. मॉडल टिनेंसी एक्ट की मदद से रेंटल हाउसिंग के काम और इस क्षेत्र में आने वाली तमाम प्रॉपर्टी को संस्थागत कामकाज का अधिकार मिल जाएगा. यानी कि ऐसी प्रॉपर्टी अब नियम-कानून के दायरे में होगी. इसकी खरीद-बिक्री या किराये का पूरा कानून होगा. इससे लोगों को प्रॉपर्टी रेंट पर लेने में आसानी होगी. धोखाधड़ी या प्रताड़ना से बचने का पूरा अधिकार मिलेगा. नए कानून के चलते रेंटल हाउसिंग को एक औपचारिक बाजार तैयार होगा जिससे कई क्षेत्रों में विकास होगा. अब ऐसा नहीं होगा कि किरायेदार के हाथों रेंटल को परेशानी झेलनी होगी. या रेंटर बिना किसी एग्रीमेंट किरायेदार पर शोषण या प्रताड़ना का आरोप लगाएगा. अगर दोनों को एक दूसरे से परेशानी है तो उन्हें अथॉरिटी में जाने का अधिकार होगा.