कुछ परिवारों में सिर्फ बच्चे ही बचे हैं, ऐसी स्थिति में किशोर बच्चों के कंधों पर छोटे-छोटे भाई बहनों की जिम्मेदारी आ गई है. कई बच्चों को तो खुद ही मां-बाप का अंतिम संस्कार करना पड़ा है. अररिया की सोनी इसकी जीती जागती उदाहरण है. सोनी की मां की कोरोना से मौत हो गई थी. गांव वालों और परिजनों ने साथ नहीं दिया तो उसने खुद मां के शव को दफनाया. तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी सोनी के नाजुक कंधों पर अपने भाई बहन की परवरिश की जिम्मेदारी आ गई है. पटना के नौबतपुर के रहने वाले कुमार आर्यन के भी मां-बाप को कोरोना ने छीन लिया. आर्यन और उसके भाईयों के सामने भुखमरी की स्थिति है. गया के अजीत की भी ऐसी ही कहानी है. पिता बहुत पहले गुजर चुके थे घर में मां थी लेकिन कोरोना के कारण मां की मौत हो गई . नाते रिश्तेदार भी अजीत का साथ छोड़ गए . अजीत अकेले जिंदगी के थपेड़ों को सहने को मजबूर है, बाल तस्करी की आशंका बढ़ीऐसे अनाथ बच्चों पर बाल तस्करों की भी आशंका होती है. बच्चे उनके चंगुल में आसानी से फंस सकते हैं. बिहार के सीमांचल ,कोसी, पूर्व बिहार के इलाकों में बाल तस्कर पहले से ही सक्रिय है. बाढ़ प्रभावित इन इलाकों में गरीबी के कारण बाल श्रम और बाल वेश्यावृति की समस्या आम है. कोरोना ने इनकी समस्या और बढ़ा दी है. आंकड़े बताते है कि पिछले साल कोरोना काल में जयपुर से सिर्फ चूड़ी फैक्ट्री में काम करने वाले चार सौ बच्चों को छुड़ाकर बिहार लाया गया था. इनमें से कई बच्चों के मां बाप कोरोना की दूसरी लहर के शिकार हो गए और इन्हें देखने वाला अब कोई नहीं है. अगर इन अनाथ बच्चों पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये चाइल्ड ट्रैफिकिंग के फिर शिकार हो जाएंगे, ऐसी ही स्थिति को देखते हुए बच्चों के अधिकार के लिए काम करने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कोरोना से प्रभावित बच्चों की सुरक्षा के लिए तत्काल आर्थिक सहायता और ठोस कार्रवाई करने की अपील की है. केन्द्र और राज्य सरकारों ने अपने स्तर से इन बच्चों के लिए योजना तैयार की हैं. केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने अपने एक ट्वीट में कहा है कि “सरकार ऐसे बच्चों की सहायता और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. ये बच्चे जिला प्रशासन के संरक्षण और निगरानी में हैं. ” पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी ट्वीट कर कहा कि इन बच्चों की देखभाल सरकार करेगी और उनके लिए सम्मानजनक जीवन और अवसर सुनिश्चित करेगी. अगर बात बिहार की करें तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाल सहायता योजना के तहत अनाथ बच्चों की मदद की घोषणा की है जिसके तहत 18 साल तक हर महीने 1500 रुपइ की मदद दी जाएगी. इनकी पढ़ाई-लिखाई की भी व्यवस्था की जाएगी. समाज कल्याण विभाग आंगनबाड़ी सेविकाओं के जरिए प्रभावित बच्चों की लिस्ट तैयार करवा रहा है.