जालंधर,(विशाल)-डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी के दिशा-निर्देशों पर सिविल अस्पताल में अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर विशेष सारंगल की तरफ से किए गए आक्सीजन ऑडिट के सार्थक नतीजे सामने आए हैं, जिससे अस्पताल पिछले 3 दिनों में आक्सीजन के खर्च को 47.8 प्रतिशत कम करने में सफल रहा है।इस बारे में और ज्यादा जानकारी देते हुए अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि दुरुपयोग को कम करने, लीकेज को ठीक करना इत्यादि यह कुछ महत्वपूर्ण कदम हैं, जो इस जीवन रक्षक गैस के उचित प्रयोग को सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने बताया कि आडिट दौरान सभी स्पलाई लाइनों की जांच की गई और तुरंत लीकेज ठीक की गई। इसी तरह अस्पताल में इस्तेमाल किए जा रहे हर सिलैंडर का रिकार्ड लेने के लिए लाग बुक लगाने के अलावा सख्त निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।श्री सारंगल ने आगे बताया कि अस्पताल में कैप्टिव आक्सीजन प्लांट का प्रयोग कम पाया गया, जिसको देखते हुए ज्यादा आक्सीजन की मांग वाले मरीज़ों को प्लांट द्वारा उत्पादित आक्सीजन उपलब्ध करवाई गई। उन्होंने बताया कि यह कदम अस्पताल में आक्सीजन की मांग को 410 से कम कर रोजाना 214 सिलैंडर करने में सहायक साबित हुआ हैं। अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि यह बचत जिले में या नजदीकी कोविड केयर सैंटरों में और ज्यादा आक्सीजन की सप्लाई को यकीनी बनाएगी। उल्लेखनीय है कि यहां से बचे सिलैंडरों को आसपास के शहरों जहां ऑक्सीजन की कमी हो रही है वहां भेजा जाएगा।बाकी शहर भी करें चैकिंग तो हो सकता है संकट का हल
जालंधर के एडीसी द्वारा किए गए इस ऑडिट से भारी मात्रा में आक्सीजन सिलैंडरों की बचत हुई इससे बाकी शहरों को भी सबक लेना चाहिए। अगर वहां का प्रशासन भी ऐसी चैकिंग से इस कमी को दूर कर सकता है