तीन चरणों में होने वाली इस चुनाव में 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को वोटिंग होगी। 243 सदस्यीय विधानसभा के नतीजे 29 नवंबर को खत्म होने जा रहे विधानसभा के कार्यकाल से करीब तीन हफ्ते पहले यानी 10 नवंबर को आ जाएंगे।
नरेन्द्र मोदी
वह प्रधानमंत्री हैं, लेकिन बिहार चुनाव पर उनका प्रभाव गहरा होगा, क्योंकि राज्य में एक मजबूत संगठनात्मक पकड़ के बावजूद नीतीश कुमार की छवि का मुकाबला करने के लिए एक भी नेता नहीं है। बिहार में चुनाव से पहले नीतीश कुमार के लिए उनकी शानदार प्रशंसा राज्य के चुनाव में उनके महत्व को दर्शाती है।
बीजेपी यह पहले ही कह चुकी है कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में चुनाव लड़ा जाएगा, हालांकि राज्य का नेतृत्व नीतीश कुमार के अधीन होगा। कोरोना के बीच राम मंदिर और अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद यह होने जा रहा है। ऐसे में यह उनके के लिए एक परीक्षा की घड़ी भी है, जिनकी लोकप्रियता को साल 2015 चुनाव में गहरा झटका लगा था।
नीतीश कुमार
2005 के बाद नीतीश कुमार सातवें कार्यकाल के लिए चुनाव मैदान में हैं और सबसे ज्यादा उनके ऊपर फोकस रहेगा। हालांकि, उनकी पार्टी राज्य में सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत नहीं जुटा पाई, उसके बावजूद वह ऐसे निर्विवाद नेता रहे जिन्होंने अपने सहयोगियों के साथ संतुलन बनाकर रखा। बीजेपी की स्वीकार्यतता और क्षमता के बावजूद वह हिंदी प्रदेश बिहार में जेडीयू को आगे कर चुनाव लड़ रहे हैं।
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तेजस्वी यादव
लालू यादव जैसे व्यापक जनाधार वाले नेता की छत्र-छाया से बाहर निकलकर आना किसी बेटे के लिए आसान नहीं है। तेजस्वी यादव भी उसी तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और आरजेडी के 15 वर्षों के शासन की छवि से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं। नीतीश कुमार से बड़े राजनेता उनके लिए एक बड़ी चुनौती हैं। मुस्लिम और यादव वोटबैंक के साथ वह युवा और अन्य वर्गों के लोगों को अपनी ओर खींचने में लगे हुए हैं।
चिराग पासवान
वह युवा और महत्वाकांक्षी नेता हैं। चिराग पासवान लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष हैं, जिनके पिता ने साल 2000 में पार्टी बनाई थी, लेकिन वह मेहनत के पीढ़ीगत बदलाव की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अपने चचेरे प्रिंस राज जो समस्तीपुर से पहली बार सांसद बने हैं, उन्हें बिहार पार्टी का अध्यक्ष बनाया है।
एनडीए में होने के बावजूद दो बार से जमुई से सांसद चिराग, नीतीश कुमार पर हमले और प्रधानमंत्री की तारीफ करने से नहीं झिझकते हैं। जिससे यह जाहिर होता है कि कैसे वह संतुलन करना जानते हैं। रामविलास पासवान ने पिछले साल पार्टी की कमान उन्हें सौंप दी, ऐसे में चिराग पर सबकी नजर होगी।
सुशील कुमार मोदी
2005 से ही एनडीए की सरकार में नीतीश कुमार उप-मुख्यमंत्री रहे हैं और वह नीतीश कुमार के साथ अपने करीबी संबंधों के चलते बीजेपी और जेडीयू के बीच पुल का काम किया है। राज्य में वह बीजेपी का चेहरा है हालांकि इस दौरान पार्टी ने करीब आधा दर्जन प्रदेश अध्यक्ष बदले हैं। इससे पार्टी के अंदर उनके कद को जाहिर करता है।