निर्जला एकादशी का व्रत केवल उपवास नहीं, बल्कि आत्म-संयम, भक्ति और सेवा का अद्भुत संगम है

पंडित जय प्रकाश

निर्जला एकादशी का व्रत केवल उपवास नहीं, बल्कि आत्म-संयम, भक्ति और सेवा का संगम है। यदि भक्त इन कार्यों को श्रद्धा और नियमपूर्वक करें, तो उन्हें वर्ष भर की सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है। ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है। यह एकादशी सबसे कठिन व्रत में से एक मानी जाती है, क्योंकि इस दिन बिना अन्न और जल के व्रत किया जाता है। इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून 2025 दिन शुक्रवार को रखा जाएगा। इस पावन दिन पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। इस कठिन व्रत को सफलतापूर्वक करने और अधिकतम पुण्य प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष कार्यों को अवश्य करना चाहिए। जानते हैं ऐसे महत्वपूर्ण कार्य जिन्हें निर्जला एकादशी के दिन करना अत्यंत फलदायी होता है।

1. निर्जला एकादशी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना या किसी तीर्थ स्थल पर स्नान करना शुभ होता है. यदि यह संभव न हो तो घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें. इससे तन और मन दोनों शुद्ध होते हैं और व्रत की पवित्रता बढ़ती है।

2. इस दिन श्रीहरि विष्णु की विशेष पूजा का विधान है. पीले वस्त्र पहनाकर भगवान विष्णु को तुलसी दल, पंचामृत, पीले फूल, चने की दाल और केले का भोग अर्पित करें। ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभकारी माना गया है।

3. निर्जला एकादशी पर दान का विशेष महत्व है। इस दिन जरूरतमंदों को शीतल जल, छाता, कपड़े, फल, अन्न और गाय को हरा चारा दान करना पुण्य प्रदान करता है। यह दान व्रत को पूर्णता प्रदान करता है और पापों से मुक्ति दिलाता है।

4. व्रत के दौरान मौन रहना या कम बोलना आत्मिक शक्ति को बढ़ाता है। व्यर्थ की बातों से बचें और मन को श्रीहरि के स्मरण में लगाएं. यह आत्म-संयम व्रत की शक्ति को और गहरा करता है।

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