किसानों को फ़सलों के अवशेष जलाने के बुरे प्रभावों संबंधी जागरूक करने के लिए प्रचार वैन की रवाना

जालंधर, फ़सलों के अवशेष जलाने के रुझान को ज़मीनी स्तर पर रोकने के लिए बहु-समर्थकीय रणनीति अपनाते हुए डिप्टी कमिश्नर डा. हिमांशु अग्रवाल ने आज हाट-स्पाट गाँवों में किसानों को जागरूक करने के लिए तीन जागरूकता वैन को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया।

यहाँ ज़िला प्रशासकीय कंपलैक्स से वैन को रवाना करते डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि यह वैन लोगों को धान की पराली को आग लगाने के बुरे प्रभावों संबंधी जागरूक करेंगी, जिनमें आडियो संदेश चलाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि यह वैन अगले 30 दिनों दौरान सभी 10 कृषि ब्लाकों के फ़सलों के अवशेष जलाने के पक्ष से संवेदनशील क्षेत्रों ( हाट स्पाट्स) का दौरा करेंगी।
डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि धान की पराली किसानों के लिए लाभदायक है और इसको किसी भी कीमत पर जलाया न जाए। डा.अग्रवाल ने कहा कि फ़सलों के अवशेष ज़मीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकते है। उन्होंने कहा कि फ़सलों के अवशेष को जलाना वातावरण के लिए नुक्सानदायक है, जिससे हर कीमत पर गुरेज़ करना चाहिए।
डिप्टी कमिश्नर ने आगे बताया कि प्रशासन द्वारा फसलों के अवशेष के उचित प्रबंधन में किसानों की मदद के लिए बड़ी संख्या में मशीनों की खरीद की गई है। अब तक इस प्रकार की 6342 मशीनें किसानों को फ़सल अवशेष प्रबंधन के लिए मुहैया करवाई जा चुकी है।
डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि आडियो संदेश के इलावा वैन पैंफलेट और पोस्टरों के द्वारा भी किसानों को फ़सल के अवशेष जलाने से होने वाले प्रदूषण और धान की पराली के उचित प्रबंधन के बारे अवगत करवाएँगी।

उन्होंने यह भी कहा कि धान की पराली को आग लगाने के साथ मिट्टी के कई मुख्य पौष्टिक और अन्य सूक्ष्म तत्व नष्ट हो जाते है जबकि पराली के अवशेष को मिट्टी में मिलाने के साथ मिट्टी की उर्वरा शक्ति में सुधार होता है। इस दौरान कृषि विभाग और पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के सीनियर अधिकारी भी मौजूद थे।

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