भारत में होने वाले आम चुनाव को दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया कहा जाता है. इन आम चुनाव में क़रीब एक अरब लोग वोट देने के योग्य हैं. हालांकि, असम में एक ऐसे भी अनोखी कैटेगरी के लोग हैं, जो वोट नहीं डाल सकते. उन्हें डी-वोटर्स या संदिग्ध मतदाता (डाउटफुल वोटर्स) कहा जाता है. असम सरकार के मुताबिक़, इस वक्त ऐसे वोटरों की संख्या क़रीब एक लाख है. ये वो लोग हैं जिनकी नागरिकता पर सवाल उठाए जा रहे हैं. असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस (एनआरसी), सिटीजन अमेंडमेंट एक्ट (सीएए) जैसे नागरिकता से जुड़े मुद्दों के बीच डी-वोटर भी एक मुद्दा है. डी-वोटर्स की दिक्कतों को समझने के लिए बीबीसी ने असम के करीमगंज और सिलचर लोकसभा क्षेत्रों का दौरा किया.