अयोध्या में राम मंदिर अटूट आस्था का विषय

अयोध्या में राम मंदिर अटूट आस्था का विषय है. एक ऐसी आस्था, जिसे श्रद्धालु सदियों तक कायम रखते रहे, तब भी जब मंदिर नहीं बना था. मंदिर को लेकर राजनीति भी होती रही है. बीजेपी अपने घोषणा पत्र में राम मंदिर निर्माण को मुद्दा बनाती रही है. अब जब मंदिर बन रहा है तो इंडिया अलायंस के नेता न्योता मिलने के बावजूद कार्यक्रम में शामिल होने पर फैसला नहीं ले पा रहे हैं
अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का वक्त नजदीक आ गया है. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से अतिथियों को न्योता दिया जा रहा है. इन न्योतों को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बयानबाजी भी तेज हो गई है. जिन दलों और नेताओं को न्योता दिया गया है, वे तय नहीं कर पा रहे हैं कि कार्यक्रम में जाना है या नहीं? कुछ नेता तो स्पष्ट रूप से इंकार कर चुके हैं और बीजेपी पर राजनीतिकरण का आरोप लगा रहे हैं. यानी लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर फिर से सियासी मसला बनता जा रहा है. जानिए इंडिया अलायंस में शामिल पार्टियों का राम मंदिर में जाने को लेकर अभी तक क्या रुख है?

बता दें कि अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम है. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य यजमान है. कार्यक्रम के लिए कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से लेकर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और एचडी देवगोड़ा तक का निमंत्रण भेजा गया है. ट्रस्ट ने करीब 6 हजार लोगों को निमंत्रण पत्र भेजा है. लेकिन अब विपक्ष धार्मिक कार्यक्रम का राजनीतिकरण का आरोप लगाकर केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है. चूंकि कुछ महीने बाद लोकसभा चुनाव होने हैं ऐसे में ये मुद्दा सियासी रूप गरम भी होता दिख रहा है.

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