प्रयागराज, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी विवाद में दो साल से चल रहे मुस्लिम पक्ष के एक केस को फैसले से पहले चीफ जस्टिस सिंगल जज की बेंच से छीनकर अपनी कोर्ट में ट्रांसफर कर लिया। चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने अपने आदेश में कहा है कि सिंगल बेंच के जज न्यायामूर्ति प्रकाश पाडिया बिना अधिकार क्षेत्र के इस मामले की सुनवाई कर रहे थे जो न्यायिक शुचिता के हिसाब से सही नहीं था। मुस्लिम पक्ष ने केस ट्रांसफर करने का विरोध किया लेकिन चीफ जस्टिस ने न्यायिक अनुशासन का हवाला देकर इस दलील को खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस को 12 सितम्बर को इस मामले की पहली सुनवाई करनी थी लेकिन वकीलों की हड़ताल की वजह से मंगलावर को सुनवाई नहीं हो सकी। अगली तारीख 18 सितंबर तय की गई है। एकल-न्यायाधीश पीठ से केस वापस लिए जाने को उचित ठहराते हुए मुख्य न्यायाधीश ने अब इसकी वजह बताई है। हाल में अपलोड किए गए 28 अगस्त के आदेश में चीफ जस्टिस ने कहा है कि न्यायिक औचित्य, न्यायिक अनुशासन, मामलों की सूची में पारदर्शिता के हित में प्रशासनिक पक्ष पर यह निर्णय लिया गया था। न्यायमूर्ति दिवाकर ने इसे ‘न्यायिक अनुचितता’ का उदाहरण बताया। उन्होंने पाया कि, ‘एकल न्यायाधीश ने इन मामलों की सुनवाई दो साल से अधिक समय तक जारी रखी, जबकि रोस्टर के हिसाब से उनके पास इस मामले में कोई क्षेत्राधिकार नहीं था।’ बता दें कि इन मामलों में अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद-ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन- की याचिकाएं शामिल थीं, जिसमें हिंदू पक्षों द्वारा वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद वाले स्थान पर भगवान विश्वेश्वर मंदिर की बहाली की मांग करने वाले मुकदमे की स्थिरता को चुनौती दी गई थी। ज्ञानवापी मस्जिद का एएसआई सर्वेक्षण करने के लिए 2021 में वाराणसी की अदालत के निर्देश को चुनौती देने वाली एक अन्य याचिका को भी एआईएम याचिका के साथ जोड़ दिया गया है।