अजीत पवार के शरद पवार से सीखने, सुप्रिया सुले से प्रतिस्पर्धा और महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में शामिल होने तक की पूरी कहानी

[02/07, 11:28 pm] Sanju: शपथ लेने के बाद अजीत पवार ने कहा कि उन्होंने ‘एनसीपी पार्टी के तौर पर सरकार में शामिल होने का फ़ैसला लिया है और अगले चुनाव में वो पार्टी के चिन्ह और नाम के साथ ही मैदान में उतरेंगे.’
इधर उनके चाचा शरद पवार ने कहा है, “एनसीपी किसकी इसका फ़ैसला लोग करेंगे.” एनसीपी के मुख्य प्रवक्ता महेश भारत तपासे ने स्पष्ट किया है, ‘ये बगावत है जिसे एनसीपी का कोई समर्थन नहीं है.’ बीते कुछ महीनों से महाराष्ट्र के अख़बारों में ‘अजीत पवार नॉट रिचेबल’ और ‘अजीत पवार बगावत करेंगे’ जैसी सुर्खियां देखने को मिल रही थीं.
कुछ सप्ताह पहले शरद पवार के पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने की बात मीडिया में छाई हुई थी. उस वक्त अटकलें लगाई जा रही थीं कि पार्टी की कमान अजीत पवार को मिलेगी. लेकिन शरद पवार ने इस्तीफा वापस ले लिया जिसके बाद इस तरह के कयास लगना बंद हुए.
अजीत पवार को जल्दबाज़ी से काम करने वाले और खुलेआम नाराज़गी जताकर पार्टी को एक्शन लेने पर मजबूर करने वाले नेता के तौर पर देखा जाता है.
उन्हें बेहद महत्वाकांक्षी नेता भी माना जाता है. वो पांच बार प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बने लेकिन मुख्यमंत्री बनते-बनते चूक गए. लेकिन इसके बाद भी प्रदेश में कई लोगों की पसंद अजीत पवार नहीं है. लेकिन क्या इन बातों का मूल अजीत पवार के राजनीतिक सफर में खोजा जा सकता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *