गोरखपुर स्थित प्रसिद्ध गीता प्रेस को साल 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किए जाने की घोषणा के बाद बीजेपी और कांग्रेस में वाकयुद्ध शुरू हो गया है. कांग्रेस (Congress) ने इस फैसले की आलोचना की है. इस मामले पर अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने भी ट्वीट किया है. उन्होंने सोमवार (19 जून) को कहा, “भारत की गौरवशाली प्राचीन सनातन संस्कृति और आधार ग्रंथों को अगर आज सुलभता से पढ़ा जा सकता है तो इसमें गीता प्रेस का अतुलनीय योगदान है.”
शाह ने आगे कहा, “100 वर्षों से ज्यादा समय से गीता प्रेस रामचरित मानस से लेकर श्रीमद्भगवद्गीता जैसे कई पवित्र ग्रंथों को नि:स्वार्थ भाव से जन-जन तक पहुंचाने का अद्भुत कार्य कर रही है. गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार 2021 मिलना उनकी ओर से किये जा रहे इन भागीरथ कार्यों का सम्मान है.” गीता प्रेस को यह पुरस्कार अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जायेगा.
कांग्रेस ने गीता प्रेस को पुरस्कार दिए जाने की आलोचना की है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर में गीता प्रेस को प्रदान किया जा रहा है, जो इस वर्ष अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है. अक्षय मुकुल ने 2015 में इस संस्थान की एक बहुत अच्छी जीवनी लिखी है. इसमें उन्होंने इस संस्थान के महात्मा के साथ उतार-चढ़ाव वाले संबंधों और राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चली लड़ाइयों का खुलासा किया है.”