मॉस्को, मॉस्को की अदालत ने सोमवार को ‘क्रेमलिन’ (रूसी सरकार) के एक शीर्ष विरोधी को देशद्रोह का दोषी ठहराया। साथ ही उस पर रूसी सेना को बदनाम करने के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ और उसे 25 साल कैद की सजा सुनाई गई। यूक्रेन में लड़ाई के बीच विरोधियों पर कार्रवाई के क्रम में यह नवीनतम कदम है। प्रमुख विपक्षी कार्यकर्ता व्लादिमीर कारा-मुर्जा जूनियर दो बार जहरखुरानी से बचे। उन्होंने रूस की सरकार को इसके लिए आरोपी ठहराया था। कारा-मुर्जा एक साल पहले अपनी गिरफ्तारी के बाद से ही जेल में बंद है। उन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोपों को राजनीति बताकर खारिज कर दिया। उन्होंने अपने खिलाफ चल रही न्यायिक कार्यवाही की तुलना सोवियत तानाशाह जोसेफ स्टालिन के शासन के दौरान ‘शो ट्रायल’ से की।
पिछले हफ्ते अपने अंतिम बयान में 41 वर्षीय कारा-मुर्जा ने कहा कि उन्हें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तानाशाही के खिलाफ कई सालों के संघर्ष के लिए जेल भेजा गया है। तीन बच्चों के पिता कारा-मुर्जा ने पिछले हफ्ते सुनवाई के दौरान कहा, ‘मुझे पता है कि वह दिन आएगा जब हमारे देश को घेरने वाला अंधेरा साफ हो जाएगा।’ उनकी टिप्पणी सोशल मीडिया नेटवर्क और रूसी विरोधी मीडिया में नजर आई। उन्होंने कहा कि यह दिन जरूर आएगा क्योंकि भीषण सर्दी के बाद वसंत आता है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने क्रेमलिन द्वारा यूक्रेन में सैनिकों को भेजे जाने के बाद इसे नागरिक संस्थाओं के व्यवस्थित दमन का एक और कटु उदाहरण करार दिया, जो अब व्यापक और तेज हो गया है। उसने कारा-मुर्जा को दी गई सजा की निंदा की। एमनेस्टी की रूस में निदेशक नतालिया जवीगिना ने एक बयान में कहा, ‘यह फैसला उच्च राजद्रोह और मानवाधिकार सक्रियता को गलत तरीके से भ्रमित करता है और स्टालिन-युग के दमन की याद दिलाता है।’ क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने सजा पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।