नई दिल्ली, कांग्रेस से बगावत कर अलग सियासी राह पर चलने वाले गुलाम नबी आजाद ने अपनी आत्मकथा में राजनीति के कई ऐसे चैप्टर से पर्दा उठाया है, जिससे विवाद खड़ा हो सकता है. गुलाम नबी आजाद की आत्मकथा ‘आजाद’ बुधवार को दिल्ली में रिलीज हो रही है. अपनी आत्मकथा में गुलाम नबी आजाद ने लिखा है कि जब गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में आर्टिकल 370 को हटाने की घोषणा की और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का निर्णय सुनाया तो विपक्ष के नेता धरने पर बैठे लेकिन इस प्रदर्शन में जयराम रमेश शामिल नहीं हुए. तब जयराम रमेश राज्यसभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप थे. जयराम रमेश अभी कांग्रेस के महासचिव हैं और संचार विभाग के इंचार्ज हैं.कांग्रेस नेता डॉ कर्ण सिंह बुधवार को नई दिल्ली में इस पुस्तक का विमोचन करेंगे और इंडिया टुडे के राजदीप सरदेसाई इस कार्यक्रम का संचालन करेंगे. गुलाम नबी आजाद उस दिन की घटना का जिक्र करते हुए अपनी आत्मकथा ‘आजाद’ की पृष्ठसंख्या 251 में लिखते हैं,”जिस क्षण गृह मंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र के कदम की घोषणा की, मैंने अपना ईयरफोन बंद कर दिया और सीधे सदन के वेल में चला गया. मैंने पूरे विपक्ष को धरने में बैठने का आह्वान किया. मैंने कांग्रेस पार्टी के लोगों से भी ऐसा ही करने के लिए आग्रह किया. सभी लोग प्रदर्शन करने आए. लेकिन जयराम रमेश नहीं आए, वे बैठे रहे और उन्होंने विरोध नहीं किया.”