आज का दिन एक बार फिर Electric Vehicles की नाकामी के साथ शुरू हुआ है। TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना के निजामाबाद शहर में EV की वजह से एक 80 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई। दरअसल, उनके PureEV इलेक्ट्रिक स्कूटर की बैटरी पूरी रात चार्ज होने की वजह से फट गई। बता दें कि PureEV की बैटरी फटने का ये पांचवां मामला है। मृतक की पहचान निजामाबाद शहर के सुभाषनगर के बी रामास्वामी के तौर पर की गई है। पुलिस के मुताबिक, रामास्वामी का बेटा बी प्रकाश इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर का मालिक है। स्थानीय पुलिस ने PureEV बनाने वाली कंपनी के खिलाफ IPC की धारा 304-ए के तहत मामला दर्ज कर लिया है। प्रकाश ने इस इलेक्ट्रिक स्कूटर को रात 12.30 बजे चार्जिंग पर लगाया था। जिसके बाद सुबह 4 बजे उसमें विस्फोट हो गया। यानी 3.30 घंटे में ही बैटरी फट गई। इससे स्कूटर में आग लग गई। आग को बुझाने की कोशिश में परिवार के कई लोगों को भी चोट आई हैं। सभी घायलों को निजामाबाद III टाउन के अस्पताल में भर्ती कर दिया गया है। वहीं, रामास्वामी को इलाज के लिए हैदराबाद ले जाया गया, लेकिन उन्होंने रास्ते में दम तोड़ दिया।
1. EV में आग लगने का पहला मामला 26 मार्च को सामने आया था। उस वक्त पुणे में सड़क किनारे खड़ी की गई नीले रंग की एक OLA S1 Pro इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग लग गई थी। स्कूटर के बैटरी कपार्टमेंट से आग और धुआं निकलने वाला वीडियो वायरल हुआ था।
2. 26 मार्च को ही तमिलनाडु के वेल्लोर में Okinawa इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग लग गई। इस घटना में स्कूटर चलाने वाले दो लोगों की मौत हो गई। ये इसमें एक पिता और दूसरा बेटा था।
3. 28 मार्च को चेन्नई में PureEV के एक इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग लगने की घटना सामने आई। आज एक नई घटना सामने आई है। पिछले सात महीने में PureEV स्कूटर में आग लगने का 5 मामले सामने आ चुके हैं।
4. 11 अप्रैल को नासिक में Jitendra Electric के कई स्कूटरों में एक साथ आग लग गई। उन्हें ट्रक में एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा रहा था। सरकार ने भी इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं।
5. 18 अप्रैल को तमिलनाडु में ओकिनावा की एक डीलरशिप एजेंसी जलकर राख हो गई। मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पहले आग एक स्कूटर में लगी थी जिसके बाद आग फैल गई। कंपनी ने बीते दिनों 3,215 यूनिट्स को रिकॉल भी किया है।
कैसे बचा जाए इसे लेकर जरूरी टिप्स
1. प्लास्टिक कैबिनेट का पिघलना: ईवी में इस्तेमाल होने वाली सभी बैटरी प्लास्टिक कैबिनेट के साथ आ रही हैं। ऐसे में जब ये गर्म होती हैं तब प्लास्टिक का पिघला देती हैं। साथ ही इसमें लगे हुए सर्किट भी पिघलने लगते हैं। इससे आग लगने का खतरा तेजी से बढ़ जाता है। बैटरी भले ही पूरी तरह पैक होती हैं, लेकिन इसके बाद भी इसमें हीट का डिस्चार्ज होती है। जब बैटरी गर्म होती है तब ये हीट का डिस्चार्ज तेजी से बढ़ने लगता है।
2. हीट सिंक का कम होना: ज्यादातर बैटरी लिथियम ऑयन बेस्ड होती हैं। लिथियम ऑयन से हीट ज्यादा निकलती है। ऐसे में इसके लिए शैल के ऊपर का कवर ज्यादा मजबूत होना चाहिए। इसमें हीट सिंक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, लेकिन अभी बैटरी ऑपरेटर्स इसका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। इसका बड़ा कारण बैटरी का स्वेपैबल होना भी है। इन बैटरी को एक जगह से दूसरी जगह पर लेकर जाया जाता है। ऐसे में यदि बैटरी में हीट सिंक को बढ़ाया जाता है तब उसका वजन भी बढ़ जाएगा। इसके चलते इसे उठाने में थोड़ी प्रॉब्लम आ सकती है। यही वजह है कि इसे जानबूझकर हल्का रखा गया है।
3. करंट से शॉर्ट सर्किट: चार्जिंग स्टेशन के दौरान जिन गाड़ियों में आग लग रही है उसका सबसे बड़ा कारण शॉर्ट सर्किट का होना है। ये करंट इतना हैवी होता है कि अगर बैटरी का जॉइंट टाइट नहीं होते हैं तो उसमें शॉर्ट सर्किट की संभावना बढ़ जाती है। टू-व्हीलर में 7kw तक का चार्जर इस्तेमाल किया जाता है। ये घर में इस्तेमाल होने वाले एयर कंडीशनर से लगभग 5 से 7 गुना तक ज्यादा करंट वाला होता है। तो कई बार इतना पावरफुल चार्जर की वजह से बैटरी में शॉर्ट सर्किट का खतरा बन जाता है। इतना ज्यादा करंट को संभालने के लिए हमारे टेक्नीशियन अभी तैयार नहीं है।