नई दिल्ली, अगर आपने बुलडोजर देखा है तो समझते होंगे इस विशालकाय मशीन की गर्जना कैसी होती है। आज भी कहीं बुलडोजर चल रहा हो तो लोग रुककर देखने लगते हैं। यूपी चुनाव के समय अपराधियों के घरों पर जब बुलडोजर गरजने लगे तो लोगों को सख्त ऐक्शन का अहसास हुआ। लोगों में संदेश गया कि सरकार चाहे तो अपराधियों पर नकेल कस सकती है। यूपी के फॉर्म्युले को एमपी, गुजरात, राजस्थान के बाद अब दिल्ली में अपनाया जा रहा है। जी हां, आज जहांगीरपुरी में बुलडोजर (Jahangirpuri Bulldozer) चल रहा है। वही जहांगीरपुरी जहां पिछले शनिवार को हनुमान जयंती पर शोभायात्रा के दौरान पथराव और फायरिंग की घटना से हिंसा भड़क उठी थी। भाजपा शासित उत्तरी दिल्ली नगर निगम (NDMC) ने जहांगीरपुरी में बुधवार और बृहस्पतिवार को अतिक्रमण-रोधी अभियान चलाने का फैसला किया है। यूपी में एक समय अखिलेश यादव ने बातों ही बातों में सीएम योगी आदित्यनाथ को ‘बुलडोजर बाबा’ कह दिया था तो योगी ने इसे अपनी पहचान से जोड़ दिया। योगी चुनाव जीते तो यही बुलडोजर मजबूत सरकार के शुभंकर के तौर पर उभरा। हालांकि सवाल अब भी उठ रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ का प्रयोग कितना सही कितना गलत है?
जहांगीरपुरी की बात करने से पहले यह समझना महत्वपूर्ण है कि बुलडोजर किसके घरों पर और क्यों चलाए जाते हैं? इस चलन की शुरुआत यूपी से हुई थी। तब यह कहा गया कि माफियाओं के अवैध ठिकानों को ध्वस्त करने की कार्रवाई चल रही है। भाजपा ने जनता को संदेश दिया कि पहले की सरकारों में लोग गुंडागर्दी से त्रस्त थे लेकिन योगी सरकार ने माफियाओं और गुंडों की कमर तोड़ दी है। 2017 में सरकार बनाने के बाद ही योगी ने माफियाओं की अवैध संपत्ति पर बुलडोजर नीति का ऐलान कर दिया। मुख्तार अंसारी से लेकर अतीक अहमद और विजय मिश्रा की संपत्तियों पर बुलडोजर चले। सरकारी जमीन पर कब्जों को ढहा दिया गया। इसके बाद तो दो हजार करोड़ की अवैध संपत्ति पर अतिक्रमण हटाया गया और बिल्डिंग जमींदोज कर दी गईं।