मुस्लिम छात्राओं की तरफ से कॉलेजों में हिजाब पहनने की अनुमति और सरकारी आदेश को चुनौती देने वाली सभी 8 याचिकाओं को आज कर दिया खारिज

कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं की तरफ से कॉलेजों में हिजाब पहनने की अनुमति और 5 फरवरी के सरकारी आदेश को चुनौती देने वाली सभी 8 याचिकाओं को आज खारिज कर दिया. चीफ जस्टिस ऋतुराज अवस्थी, जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित और जस्टिस जेएम काजी की बेंच ने अपने फैसले में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब बैन को जारी रखा है. हाईकोर्ट ने अपने इस अहम फैसले में कहा कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. स्टूडेंट्स स्कूल या कॉलेज की यूनिफॉर्म पहनने से इनकार नहीं कर सकते. बेंच ने कहा कि 5 फरवरी के सरकारी आदेश को अमान्य करने के लिए कोई केस नहीं बनता है, जिसमें किसी भी शैक्षणिक संस्थान में हिजाब के बजाय स्कूल यूनिफॉर्म पहनने को जरूरी बताया गया था. हिजाब मामले की संवेदशीलता को देखते हुए फैसले से पहले ही पूरे राज्य में धारा 144 लगा दी गई है. राज्य के सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया. इसके अलावा मामले में फैसला सुनाने वाले जज की भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है. दरअसल 31 दिसंबर 2021 को कर्नाटक के उडुपी जिले में मौजूद पीयू कॉलेज में करीब 6 लड़कियों को हिजाब पहनकर क्लास में आने से रोक दिया गया था, जिसके बाद इन लड़कियों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन करना शरू कर दिया था. कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं के अभिभावकों के साथ मीटिंग कर बातचीत की, लेकिन इससे कोई भी समाधान नहीं निकला और फिर धीरे-धीरे यह मामल तूल पकड़ता गया. बाद में मामला कोर्ट जा पहुंचा था. कोर्ट के इस फैसले पर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने नाराजगी जताई है. उन्होंने ट्वीट किया- हिजाब प्रतिबंध को बरकरार रखने का कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला बेहद निराशाजनक है. एक तरफ हम महिलाओं के सशक्तिकरण की बात करते हैं फिर भी हम उन्हें एक साधारण अधिकार से वंचित कर रहे हैं. यह सिर्फ धर्म से जुड़ा हुआ नहीं, बल्कि चुनने की स्वतंत्रता का भी मसला है.

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