प्रशासन द्वारा मीडिया मोनिटरिंग के लिए हर जिले में एक कमेटी बनाई

मॉनिटरिंग नही हो रही तो आउट सोर्स कर दो, पेशा क्यों बदनाम कर रहे हो ?

जालंधर, (रोजाना आज तक)-चुनावों का दौर जारी है और हर मीडिया अपनी-अपनी अपरोच और कपैस्टी के हिसाब से खबरें पहुंचने में लगा है। हर ईमानदार बैब पोर्टल इस समय अपनी पूरी ईमानदारी से काम भी कर रहा है। इस सबके बीच में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपना धंधा चलाने के लिए मीडिया को बदनाम भी कर रहे हैं। ऐसे में प्रशासन द्वारा मीडिया मोनिटरिंग के लिए हर जिले में एक कमेटी बनाई गई है जोकि इस बात का ध्यान रखेगी की मीडिया में कौन क्या कर रहा है। आदर्श आचार संहिता का पालन भी हो रहा है या नहीं। इसी के बीच बुधवार को जालंधर जिला प्रशासन द्वारा बैब पोर्टलों की एक लिस्ट मीडिया में जारी की गई है। जिसमें कुछ उन पोर्टलों के नाम हैं सरकार से विज्ञापन लेते हैं और सरकार के साथ इंपैनलड हैं। पर जो लिस्ट जारी की गई है उसमें साफ लिखा गया है कि इन पोर्टलों के ईलाव अगर कोई पोर्टल ब्लैकमेल करता है तो उस पर कार्यवाही की जाए या उसकी शिकायत की जाए। अब इस बात का सीधा सीधा मतलब यह निकलता है कि इन पोर्टलों को ब्लैकमेलिंग का अधिकार दिया गया है न कि खबरें प्रकाशित करने का।
मॉनिटरिंग नही हो रही तो आउटसोर्स कर दो, पेशा क्यों बदनाम कर रहे हो ?

सवाल ये है कि अगर सरकार ने बैब पोर्टलों को रैगुलर करने की कोई पॉलिसी बनाई है तो उसे लागू किया जाए पर ये नहीं कि बाकीयों काम करने का अधिकार छीन लिया जाए। प्रैस की स्वतंत्रता पर अंकूश लगाने वाले प्रयास अब सफल नहीं हो सकते क्योंकि हम सब इस लोकतंत्र का हिस्सा हैं और काम करने का अधिकार सबको है। अगर विभाग मोनिटरिंग करने में विफल हो रहा है तो ये सेवा बाहर से ले ले पर ऐसी लिस्टें जारी कर ब्लैकमेलिंग को बढ़ावा न दे। अगर कोई ब्लैकमेलिंग करता है उस पर कार्यवाही करें न कि सभी को ब्लैकमेलर कह कर पत्रकारिता को बदनाम करें।

काम करने का अधिकार सबका है – प्रदीप वर्मा

इस बारे में डिजिटल मीडिया ऐसोसिएशन के सीनीयर वाईस प्रैसिडेंट प्रदीप वर्मा ने कहा कि सरकार खुद कानून बनाने में असमर्थ है तो स्वतंत्र पत्रकारों को ब्लैकमेलर कह कर अपना पल्ला झाड़ रही है। अगर सरकान असमर्थ है तो दूसरों को दोष क्यों दे रही है। सोशल मीडिया के दौर में सरकार को अपनी कमियां छुपाने को राह नहीं मिल रही इसी लिए ऐसे पत्र जारी कर अपना पल्ला झाड़ा जा रहा है। काम करने का अधिकार सबका है और इसे कोई नहीं छीन सकता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *