NEW DELHI : दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली में संचालित निजी स्पा और वेलनेस सेंटरों में क्रॉस-जेंडर मालिश पर दिल्ली सरकार के लगाए प्रतिबंध पर रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि पार्लरों पर पूर्ण प्रतिबंध और वेश्यावृत्ति को रोकने के बीच कोई उचित संबंध नहीं है। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने स्पा सेंटरों और चिकित्सकों द्वारा दायर याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार के दिशानिर्देश और नीति के उस हिस्से को चुनौती दी गई है, जिसमें नगर निगमों को क्रॉस-जेंडर मालिश पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया गया था। प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि निर्णय लेते समय प्रतिबंध से प्रभावित लोगों की बात पर विचार नहीं किया गया।
अदालत ने कहा, इस संबंध में दिल्ली सरकार के दिशानिर्देशों और नीति के एक हिस्से के संचालन पर रोक लगाई जानी चाहिए। हालांकि, अदालत ने इस दलील पर चिंता जताई कि राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 5,000 अवैध स्पा चल रहे हैं और केवल 400 के पास ही लाइसेंस हैं। अदालत ने तीन नगर निगमों और दिल्ली पुलिस को एक सप्ताह के भीतर अपने-अपने क्षेत्र का निरीक्षण करने और शहर में चल रहे अवैध स्पा सेंटरों को सील करने के कदम उठाने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई की तारीख 11 जनवरी तक अपनी रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करने को कहा। दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि यह नीति महिलाओं और बच्चों को स्पा सेंटरों में वेश्यावृत्ति के खतरे से बचाने के लिए है। अदालत ने याचिकाकर्ताओं को अपने सदस्यों के लाइसेंस की प्रतियों के साथ एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। इससे पहले, सरकार ने कहा था कि दिशानिर्देशों को अधिसूचित किया जाना बाकी है और इस समय इसे लागू नहीं किया जा रहा है।