यूपी में ‘ब्राह्मणों’ के समाजवादी पार्टी से जुड़ने से कितना बढ़ेगा योगी आदित्यनाथ पर दबाव?

उनके बड़े बेटे भीम शंकर तिवारी उर्फ़ कुशल तिवारी संत कबीर नगर से लोकसभा सांसद रह चुके हैं. वहीं उनके छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी गोरखपुर के चिल्लूपार से बसपा के विधायक हैं. सभी के सपा में शामिल होने की संभावनाओं को देखते हुए पिछले हफ़्ते इन लोगों को बहुजन समाज पार्टी से निकाल दिया गया था. इन सबके अलावा, संत कबीर नगर के ख़लीलाबाद से विधायक दिग्विजय नारायण चौबे उर्फ़ जय चौबे ने भी बीजेपी छोड़कर सपा की सदस्यता ले ली. भाजपा से सपा में शामिल होने वाले वो दूसरे विधायक हैं. इससे पहले सीतापुर से बीजेपी विधायक राकेश राठौड़ भी सपा से जुड़ चुके हैं. बसपा के शासनकाल में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के अध्यक्ष गणेश शंकर पांडेय ने भी सपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है. पार्टी में इन नेताओं का स्वागत करते हुए समाजवादी पार्टी के मुखिया और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा, “इतना बड़ा परिवार अब हमारे साथ जुड़ गया है और विधायक विनय शंकर तिवारी भी पार्टी में आ गए हैं, तो फिर सपा का कोई मुक़ाबला नहीं कर सकता. सपा में आकर आपने पार्टी की लड़ाई को और मज़बूत बना दिया है.” हरिशंकर तिवारी के परिवार और जय चौबे के सपा में शामिल होने से अखिलेश यादव अब ये संकेत देना चाह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण, बीजेपी और योगी सरकार से नाराज़ हैं और चुनावी जंग में सपा को ज़्यादा मज़बूत मान रहे हैं. 2022 के विधानसभा चुनावों के पहले विपक्ष भाजपा को ब्राह्मण विरोधी साबित करने में लगा हुआ है.

 

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