CHANDIGARH : आयुष्मान बीमा योजना से संबद्ध पंजाबभर के निजी अस्पतालों ने इस योजना के तहत मरीजों का इलाज करने से इंकार कर दिया है और इलाज की सुविधा भी रोक दी है। यह कदम क्लेब की राशि न मिलने के रोषस्वरूप उठाया गया है। 22 अक्तूबर से इलाज बंद किया गया है और इस संबंध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की सभी शाखाओं की तरफ से पत्र भी जारी कर दिया गया है। पत्र में साफ तौर पर लिखा गया है कि इंश्योरेंस कंपनी द्वारा क्लेम पारित न किए जाने तक इस योजना के तहत नए मरीजों का पंजीकरण न किया जाए। पत्र में 10 मुद्दों को उठाया गया है जिनमें क्लेम सैटलमेंट में देरी, क्लेम सैटलमेंट की अनावश्यक आपत्तियां, अनावश्यक आधार पर क्लेम रद्द किया जाना, जांच टीम द्वारा अस्पतालों व डॉक्टरों से दुव्र्यवहार करना आदि शामिल हैं। दरअसल योजना का तीसरा चरण शुरू हुए 40 दिन बीत चुके हैं लेकिन अभी तक क्लेम नहीं मिला है। दूसरे चरण का भी चिकित्सकों का करोड़ों रुपये का बकाया है।
चिकित्सकों की सबसे बड़ी आपत्ति है कि आयुष्मान योजना का लाभ देने के लिए सरकार ने जिस एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी के साथ अनुबंध किया है, वह टेंडर की शर्तों का पालन नहीं कर रहा है। चिकित्सकों का कहना है कि नेशनल हेल्थ एजेंसी की गाइडलाइन के अनुसार केवल एमबीबीएस या उससे ज्यादा उच्च शिक्षित चिकित्सक ही मेडिकल आडिट कर सकते हैं, जबकि इंश्योरेंस कंपनी बीएएमएस, बीडीएस, बीएचएमस डिग्री डाक्टरी चिकित्सकों से इंस्पेक्शन करा रही है, जो योजना को चला रहे अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सकों का प्रताडि़त करते हैं।