गणेश चतुर्थी के दिन क्या है इसके पीछे पौराणिक कथा

गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से आप पर झूठा आरोप या कलंक लग सकता है। आपको बता दें गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी, कलंक चौथ और पत्थर चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में पौराणिक कथाओं के अनुसार आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर चंद्रमा को क्यों नहीं देखना चाहिए। क्या है इसके पीछे पौराणिक कथा।
एक बार गणेश जी अपने मूषक पर सवार होकर खेल रहे थे, तभी अचानक मूसकराज को सर्प दिखा। जिसे देख वह भय के मारे उछल पड़े और उनकी पीठ पर सवार गणेश जी का संतुलन बिगड़ गया। गणेश जी ने तभी मुड़कर देखा कि कहीं उन्हें कोई देख तो नहीं रहा है। रात्रि के कारण आसपास कोई भी मौजूद नहीं था, तभी अचानक जोर जोर से हंसने की आवाज आई। ये आवाज किसी और की नहीं बल्कि चंद्र देव की थी, चंद्रदेव ने गणपति महाराज का उपहास उड़ाते हुए कहा कि छोटा सा कद और गज का मुख। चंद्र देव ने सहायता करने के बजाए विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी का उपहास उड़ाया।
यह सुनते ही गणेश जी क्रोधित हो उठे और चंद्रमा को श्राप देते हुए कहा कि, जिस सुंदरता के अभिमान के कारण तुम मेरा उपहास उड़ा रहे हो वह सुंदरता जल्द ही नष्ट हो जाएगी। भगवान गणेश जी के श्राप के कारण चंद्रदेव का रंग काला पड़ गया और पूरे संसार में अंधेरा हो गया। तब सभी देवी देवताओं ने मिलकर गणेश जी को समझाया और चंद्रदेव ने अपने कृत्य के लिए माफी मांगी। चंद्रदेव को क्षमा करते हुए गणेश जी ने कहा कि मैं अपना दिया हुआ श्राप वापस तो नहीं ले सकता, लेकिन महीने में एक दिन आपका रंग पूर्ण रूप से काला होगा और फिर धीरे धीरे प्रतिदिन आपका आकार बड़ा होता जाएगा। तथा माह में एक बार आप पूर्ण रूप से दिखाई देंगे। कहा जाता है कि तभी से चंद्रमा प्रतिदिन घटता और बढ़ता है। गणेश जी ने कहा कि मेरे वरदान के कारण आप दिखाई अवश्य देंगे, लेकिन गणेश चतुर्थी के दिन जो भी भक्त आपके दर्शन करेगा उसे अशुभ फल की प्राप्ति होगी। इस दौरान ना देखें पंचांग गणेश चतुर्थी के दिन रात 9 बजकर 12 मिनट से सुबह 8:53 तक चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए।

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