कोरोना का डबल म्यूटेंट वायरस पहले से ज्यादा है जानलेवा? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस का भारतीय वेरिएंट ब्रिटिश वेरिएंट की तरह तेजी से फैल सकता है लेकिन अभी तक इस बात के बहुत कम सबूत हैं कि यह मूल वायरस की तुलना में अधिक घातक है। सार्स-सीओवी2 के बी.1.617 वेरिएंट को डबल म्यूटेशन वाला या भारतीय वेरिएंट भी कहा जाता है। यह महामारी की दूसरी लहर से बुरी तरह से प्रभावित महाराष्ट्र और दिल्ली में काफी मिला है। दिल्ली और महाराष्ट्र में पिछले कुछ हफ्तों में कोरोना वायरस के मामलों में काफी तेजी आई है और स्वास्थ्य सेवा चरमरा गई है। दिल्ली के कई अस्पतालों में चिकित्सीय ऑक्सीजन की भारी कमी महसूस की गई है। इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) के निदेशक अनुराग अग्रवाल ने कहा, “जहां तक ​​हमारी जानकारी है, न तो ब्रिटिश वेरिएंट और न ही यह बीमारी या मौत की बढ़ती गंभीरता से जुड़ा है। साबित हो चुका है कि ब्रिटिश वेरिएंट तेजी से फैलता है और संभव है कि बी.1.617 वेरिएंट अधिक तेजी फैल सकता है। लेकिन यह (बी.1.617 स्वरूप का तेजी से फैलना) साबित नहीं हुआ है और इसे साबित करने के लिए कई लक्षण हैं और अध्ययन अभी पूरा नहीं हुआ है।” आईजीआईबी देशभर की 10 प्रयोगशालाओं में से एक है जो वायरस के जीनोम अनुक्रमण में शामिल हैं। उन्होंने हालांकि कहा कि इस बात की कोई तुलना नहीं है कि किस स्वरूप की प्रसार क्षमता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के अनुभव को देखते हुए यह स्वरूप तेजी से फैलने वाला लगता है, लेकिन इसका साबित होना बाकी है। उन्होंने कहा कि सामान्य प्रमाणों को देखते हुए यह वेरिएंट (बी.1.617) अधिक तेजी से फैल सकता है। पिछले साल की पहली लहर की अपेक्षा इस बार राज्य में अधिक मौतों के बारे में पूछे जाने पर अग्रवाल ने कहा कि इसका सीधा संबंध इस बात से है कि स्वरूप कितना फैल सकता है और जितने अधिक मरीज संक्रमित होंगे, मृतकों की संख्या भी अधिक होगी। नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस) के निदेशक सौमित्र दास ने कहा कि बी.1.617 स्वरूप के घातक होने के संबंध में अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं है।एनसीबीएस पश्चिम बंगाल के कल्याणी में स्थित है और यह कोरोना वायरस के जीनोम अनुक्रमण में शामिल 10 संगठनों में से एक है। दास ने पिछले हफ्ते एक वेबिनार में कहा था कि भारत में पाए जाने वाले विभिन्न स्वरूपों पर उपलब्ध टीके प्रभावी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *