सूरत, करीब छह साल पहले सूरत ने बीजेपी के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी थीं। पाटीदार आरक्षण आंदोलन के केंद्र में रहे इस शहर की गुजरात की पॉलिटिक्स में बहुत अहमियत है। तब बीजेपी को आंदोलन की तपिश और पाटीदार समाज का गुस्सा झेलना पड़ा था। वहीं गुजरात निकाय चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस को सूरत में नया सबक दिया है। सूरत नगर निगम चुनाव में पार्टी को करारी हार झेलनी पड़ी है। वहीं अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने यहां बेहतरीन प्रदर्शन किया है। सूरत ने एक तरह से कांग्रेस की सियासी सूरत बिगाड़कर रख दी है।