जालंधर, (विशाल/रोजाना आजतक)-पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी माहिरों ने पराली को खेत में मिलाना ही सबसे उत्तम विकल्प बताया है। माहिरों के अनुसार पराली में बड़ी मात्रा में वे खादें होती हैं जिन्हें हम जमीन में अधिक उपज लेने के लिए डालते हैं। इसलिए पराली को पुन जमीन में मिलाकर लाभ लेना चाहिए। गेहूं की काश्त करने वाले किसानों के लिए खेती माहिरों द्वारा सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम वाली कंबाइन से धान की कटाई करके हैपीसीडर मशीन या सुपरसीडर मशीनों से गेहूं की सीधी बिजाई के लिए सिफारिश की जाती है।ब्लाक नकोदर के गांव शाहपुर के किसान हरविंदर सिंह के पास भले ही दो खेतों की मलकियत है लेकिन ठेके पर करीब 250 एकड़ रकबे पर यह किसान खेती करता है। इस किसान ने करीब पांच सालों से पराली को आग नहीं लगाई। उसने पहले साल धान की कटाई के बाद तवियां चलाने के बाद रोटोसीडर द्वारा गेहूं की बिजाई की थी लेकिन पिछले साल सुपरसीडर मशीन से गांव आदरामान, शाहपुर, संगोवाल, बिल्लीयां में अपनी व आसपास के किसानों की बिना पराली जलाए गेहूं की 415 एकड़ रकबे में बिजाई की थी।किसान ने अपना अनुभव साझा करते कहा कि धान की पराली जमीन में जोतने के बाद कम खर्चा करके गेहूं की बिजाई की जाती है और खेतों में गुल्ली डंडा भी कम होता है। किसान के अनुसार गेहूं की बिजाई वाले इस तरह के रकबे में कोई भी नदीन नाशक की स्प्रे नहीं की जाती और उसका गेहूं का झाड़ भी 20 क्विंटल से अधिक रहा था जबकि आम किसानों को गुल्ली डंडे की बार-बार स्प्रे करने की जरूरत पड़ी थी।किसान ने बताया कि धान की पराली खेतों में जोतने के बाद बीजी फसल पर यूरिए की खपत आधी रह गई है। इस गेहूं के सीजन में उसके पास मौजूद तीन सुपरसीडर मशीनों द्वारा 700 एकड़ रकबा गेहूं की बीजा जाएगा। जिले के मुख्य कृषि अधिकारी डा. सुरिंदर सिंह ने बताया कि किसानों को इन मशीनों का इस्तेमाल करके कम खर्चे पर गेहूं की बिजाई करनी चाहिए। छोटे किसानों को किराये पर इन मशीनों का फायदा लेना चाहिए।