जालंधर, फिल्लौर ब्लॉक के तेहंग गांव के प्रगतिशील किसान बलप्रीत सिंह, जो धान की पराली को आग लगाए बिना खेती कर रहे हैं, अन्य किसानों के लिए एक मिसाल कायम कर रहे है।
किसान बलप्रीत सिंह ने बताया कि वह पिछले कुछ वर्षों से पराली न जलाकर धान की खेती कर रहे है। उन्होंने कहा कि 150 एकड़ भूमि में सुपर सीडर की मदद से पराली को खेत में ही मिला रहा है, जिससे न केवल गेहूं की फसल की पैदावार बढ़ी है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बेहतर हुई है।
किसान ने कहा कि सुपर एस.एम.एस कंबाइन से धान की कटाई के बाद सुपर सीडर से गेहूं की बुआई आसानी से हो जाती है। बलप्रीत सिंह ने अन्य किसानों से भी अपील की कि वे पराली जलाने की गलती न करें और इसे खेत में ही बोएं ताकि खेती का खर्च कम हो सके और खेत की उर्वरता भी बढ़ सके।
डिप्टी कमिश्नर डा. हिमांशु अग्रवाल ने जिले के किसानों को पराली के उचित प्रबंधन के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने का न्योता दिया। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष जलाने से जहां मिट्टी की उर्वरता पर बुरा प्रभाव पड़ता है, वहीं पर्यावरण प्रदूषण से मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। फसल अवशेष जलाने से उत्पन्न धुआं कई बार दुर्घटनाओं का कारण भी बनता है।
डा.अग्रवाल ने कहा कि जिला प्रशासन ने पराली प्रबंधन में किसानों की मदद के लिए एक हेल्पलाइन नंबर 0181-2225005 भी जारी किया है, जिस पर किसान फसल अवशेषों के उचित प्रबंधन में तकनीकी सहायता के लिए संपर्क कर सकते है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।