भारत बंद में प्रदर्शकारियों का बवाल, ओडिशा में स्टेशन पर रोक लीं ट्रेनें

आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति की तरफ से 21 अगस्त यानी बुधवार को देशभर में बंद का ऐलान किया गया है। समिति ने आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में यह कदम उठाया है। हालांकि, खबरें हैं कि इस दौरान सरकारी दफ्तर, बैंक और जरूरी सेवाएं जारी रहेंगी। बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने भी अनुसूचित जाति SC और अनुसूचित जनजाति ST का प्रतिनिधित्व कर रहे संगठनों की तरफ से बुलाए गए बंद का समर्थन करने का फैसला किया है। ‘नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स’ (NACDAOR) ने मांगों की एक सूची जारी की है जिसमें अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए न्याय और समानता की मांग शामिल हैं। संगठन ने हाल में सुप्रीम कोर्ट की सात न्यायाधीशों की पीठ की तरफ से सुनाए गए फैसले के प्रति विपरीत दृष्टिकोण अपनाया है, जो उनके अनुसार, ऐतिहासिक इंदिरा साहनी मामले में नौ न्यायाधीशों की पीठ द्वारा लिए गए फैसले को कमजोर करता है, जिसने भारत में आरक्षण की रूपरेखा स्थापित की थी।

आरक्षण की रक्षा के लिए जन-आंदोलन एक सकारात्मक प्रयास है। ये शोषित-वंचित के बीच चेतना का नया संचार करेगा और आरक्षण से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ के खिलाफ जन शक्ति का एक कवच साबित होगा। शांतिपूर्ण आंदोलन लोकतांत्रिक अधिकार होता है। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी ने पहले ही आगाह किया था कि संविधान तभी कारगर साबित होगा जब उसको लागू करनेवालों की मंशा सही होगी। सत्तासीन सरकारें ही जब धोखाधड़ी, घपलों-घोटालों से संविधान और संविधान द्वारा दिये गये अधिकारों के साथ खिलवाड़ करेंगी तो जनता को सड़कों पर उतरना ही होगा। जन-आंदोलन बेलगाम सरकार पर लगाम लगाते हैं।

 

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