सिंगापुर : मंदिर के आभूषण बार-बार गिरवी रखने पर भारतीय पुजारी को जेल

SINGAPUR : सिंगापुर में सबसे पुराने मंदिर के 39 वर्षीय एक भारतीय पुजारी को मंदिर के देवताओं को सजाने के लिए इस्तेमाल किए गए 10 लाख डॉलर से अधिक के आभूषण बार-बार गिरवी रखने के आरोप में मंगलवार को छह साल जेल की सजा सुनाई गई। द स्ट्रेट्स टाइम्स के मुताबिक, साउथ ब्रिज रोड में श्री मरिअम्मन मंदिर के पुजारी कंदासामी सेनापति ने मंदिर के आभूषणों को पांच साल से अधिक समय तक गिरवी रखकर कुल 23 लाख डॉलर (SINGAPUR) यानी 190,11,2135 भारतीय रुपये कमाए। अदालत ने पुजारी को एक कर्मचारी द्वारा आपराधिक विश्वासघात के दो आरोपों और आपराधिक गतिविधियों के दो अन्य मामलों में भी दोषी ठहराया।
रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने भारतीय नागरिक को सजा सुनाने के दौरान एक जैसे छह आरोपों को भी ध्यान में रखा।
उप लोक-अभियोजक जेनिस सी. ने अदालत को बताया कि कंदासामी को दिसंबर, 2013 में हिंदू एंडोमेंट्स बोर्ड (HEB) द्वारा नियुक्त किया गया था और जुलाई 2018 में मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में पदोन्नत किया गया था।
जेनिस ने कहा कि 2014 में कंदासामी को मंदिर के पवित्र गर्भगृह में तिजोरी की चाबियां और संख्या कोड सौंपा गया था, जिसमें लगभग 255 सोने के आभूषण थे, जिनकी कीमत लगभग 11 लाख डॉलर (सिंगापुर) थी।
कंदासामी ने 2016 से 2020 तक 172 से अधिक अवसरों पर 66 आभूषण गिरवी रखे, जिससे उसने 2,328,760 डॉलर (सिंगापुर) कमाए।पुजारी ने पैसे का एक हिस्सा अपने व्यक्तिगत बैंक खाते में जमा किया और 141,054.90 डॉलर (सिंगापुर) भारत में रहने वाले अपने परिवार को भेजा।
द टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पुजारी को जब भी पता चलता था कि ऑडिट होने वाला है, तो अपने संपर्क वाले लोगों से धन उधार लेकर गिरवी रखे गहनों को छुड़ा लेता था।ऑडिट पूरा हो जाने के बाद वह उधार लिए पैसे वापस करने के लिए मंदिर के गहनों को फिर से गिरवी रख देता था।
जून, 2020 में जब नियमित बाहरी ऑडिट होना था, कंदासामी ने मंदिर की वित्तीय टीम के एक सदस्य को बताकर ऑडिट टलवा दिया कि जब वह अपने परिवार से मिलने भारत गया था तो मंदिर की तिजोरी की चाबी वहीं छूट गई।
यह महसूस होने पर कि योजना के अनुसार ऑडिट आगे बढ़ेगा, कंदासामी ने 2 जुलाई, 2020 को गहने गिरवी रखने की बात कबूल कर ली और 29 जुलाई, 2020 को पुलिस ने उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी।
उसके द्वारा गिरवी रखे गए सभी 66 गहने मंदिर में वापस कर दिए गए हैं और दावा किया गया है कि मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ है। हिंदू एंडोमेंट्स बोर्ड ने अब कंदासामी को पुजारी पद से हटा दिया है।कंदासामी के वकील ने अपने मुवक्किल की कार्रवाई को ‘मूर्खतापूर्ण उपक्रम’ बताते हुए अदालत से कहा कि वह भारत में अपने कुछ दोस्तों की आर्थिक मदद करना चाहता था। उसके एक दोस्त की मां कैंसर से पीड़ित थी, जिसके इलाज के लिए वह सिंगापुर से पैसे भेजता था। साथ ही, कुछ स्कूलों की भी आर्थिक मदद करता था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *