NEW DELHI : कौन बनेगा कर्नाटक का सीएम? कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे गुरुवार को नाम का ऐलान कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, सिद्धारमैया सीएम की रेस में सबसे आगे हैं और उनका मुख्यमंत्री बनना लगभग तय है। वे 11.30 बजे राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे। दूसरी ओर कांग्रेस आलाकमान सीएम पद के दूसरे दावेदार डीके कुमार से मुलाकात कर उनकी नाराजगी दूर करेगा। डीके कुमार को सिद्धारमैया सरकार में अहम मंत्रालय भी दिये जा सकते हैं।
वहीं आलाकमान के रातों की नींद गायब है। क्योंकि डर है ‘ऑपरेशन लोटस’। कर्नाटक कांग्रेस भुग्तभोगी है। 2019 की गलती वो अब नहीं दोहराएगी। डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया ने अपनी-अपनी दावेदारी ठोंक दी है। लेकिन इसी बीच एक और कांग्रेस नेता ने सीएम पद के लिए अपना नाम आगे बढ़ाया है। यानी की अभी तक तो दो खिलाड़ी थे अब एक और खिलाड़ी आगे आ गया है। कर्नाटक में 13 मई को विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे। चुनाव में कांग्रेस ने प्रचंड जीत हासिल की और बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर दिया। कांग्रेस ने चुनाव से पहले सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया था। ऐसे में चुनाव के बाद पूर्व सीएम सिद्धारमैया और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने सीएम पद के लिए दावेदारी की थी। इसके बाद आलाकमान ने दोनों नेताओं को दिल्ली बुलाया था। चार दिन के मंथन और कई दौर की बातचीत के बाद भी नाम पर आम सहमित नहीं बन पाई थी।
बताया जा रहा है कि सिद्धारमैया सीएम की रेस में डीके शिवकुमार से अब आगे निकल गए हैं। उनका सीएम बनना लगभग तय है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे गुरुवार को उनके नाम का ऐलान कर सकता है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि शिवकुमार को गुमराह किया जा रहा है। लेकिन पार्टी आलाकमान उनसे बात करेगी और उनकी समस्याओं का समाधान करेगी। इतना ही नहीं पार्टी उनकी नाराजगी दूर करने के लिए नई सरकार में अहम मंत्रालय भी दे सकती है। इससे पहले डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया ने मंगलवार को मल्लिकार्जुन खड़गे से अलग अलग मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने पार्टी नेतृत्व को सिद्धारमैया की कमियां गिनाई थीं। सूत्रों के मुताबिक, शिवकुमार ने खड़गे को बताया था कि सिद्धारमैया का पिछला कार्यकाल अच्छा नहीं रहा था। लिंगायत समुदाय भी उनके खिलाफ है। उन्होंने कहा था, अगर सिद्धारमैया को पहले सीएम बनाया जा चुका है, तो अब किसी और को मौका क्यों नहीं मिलना चाहिए।
शिवकुमार ने खड़गे को बताया था कि 2019 में गठबंधन टूटने का कारण भी सिद्धारमैया थे। उन्होंने साफ शब्दों में कहा था, यह मेरे मुख्यमंत्री बनने का समय है और आलाकमान को मुझे मौका देना चाहिए। मैंने 2019 के बाद पार्टी को दोबारा खड़ा किया। यदि पार्टी मुझे मुख्यमंत्री पद देती है तो मैं इसे जिम्मेदारी के रूप में लूंगा जैसा मैंने प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर किया था, नहीं तो मैं सिर्फ एक विधायक बना रहूंगा।