NEW YORK : कोविड-19 महामारी फैलने के तकरीबन दो साल बाद दुनिया बीते दिनों सामने आए वायरस के नए स्वरूपों से जूझती नजर आ रही है। वायरस का यह स्वरूप टीके के जरिये मुहैया करायी जा रही सुरक्षा को विफल करने की संभावना रखता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक समिति ने कोरोना वायरस के नये स्वरूप को ‘ओमीक्रोन’ नाम दिया है और इसे ‘बेहद संक्रामक चिंताजनक स्वरूप’ करार दिया है। इससे पहले इस श्रेणी में कोरोना वायरस का डेल्टा स्वरूप था जिससे यूरोप और अमेरिका के कई हिस्सों में लोगों ने बड़े पैमाने पर जान गंवाई।
कोरोना वायरस के नए स्वरूप के सामने आने के बाद से दुनिया के विभिन्न देश दक्षिण अफ्रीकी देशों से यात्रा पाबंदियां लगा रहे हैं ताकि नए स्वरूप के प्रसार पर रोक लगाई जा सके। विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह पर ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, ईरान, जापान, थाईलैंड, अमेरिका, यूरोपीय संघ के देशों और ब्रिटेन सहित कई देशों ने दक्षिण अफ्रीकी देशों से यात्रा पर पाबंदियां लगाई हैं। इसकी पहचान करके इसे दुनिया के सामने लाने वाली निजी चिकित्सक और दक्षिण अफ्रीकी मेडिकल एसोसिएशन की अध्यक्ष डॉ. एंजेलिक कोएत्जी ने रॉयटर्स को बताया कि 18 नवंबर को उन्होंने अपने क्लिनिक में सात रोगियों को देखा, जिनके लक्षण प्रमुख डेल्टा संस्करण से अलग थे, हालांकि “बहुत हल्के” थे।
एस्ट्राजेनेका, मॉडर्ना, नोवावैक्स और फाइजर सहित कई दवा कंपनियों ने कहा कि ओमीक्रॉन के सामने आने के बाद उनके पास ऐसी योजनाएं हैं कि टीके नए स्वरूप के अनुकूल होंगे। ऑक्सफोर्ड टीका समूह के निदेशक प्रोफेसर एंड्रयू पोलार्ड ने उम्मीद जताई कि ओमीक्रॉन स्वरूप से होने वाली गंभीर बीमारियों को रोकने में वर्तमान टीके प्रभावी हो सकते हैं।
कोएत्ज़ी ने कहा कि अधिकांश रोगियों में बहुत, बहुत हल्के लक्षण दिखाई दे रहे हैं और उनमें से किसी को भी अब तक भर्ती नहीं किया गया है। कोएत्ज़ी ने कहा कि डेल्टा के विपरीत अब तक रोगियों ने गंध या स्वाद के नुकसान की सूचना नहीं दी है और नए संस्करण के साथ ऑक्सीजन के स्तर में कोई बड़ी गिरावट नहीं आई है। उनका दावा है कि ओमीक्रॉन से संक्रमित व्यक्ति घर पर भी ठीक हो सकता है, उसे अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उनका अब तक का अनुभव यह रहा है कि वैरिएंट 40 या उससे कम उम्र के लोगों को प्रभावित कर रहा है। ओमीक्रॉन के लक्ष्णों वाले लगभग आधे रोगियों का टीकाकरण नहीं किया गया था। “सबसे प्रमुख शिकायत एक या दो दिनों के लिए गंभीर थकान है। उनके साथ, सिरदर्द और शरीर में दर्द और दर्द होता है।” अगर वैक्सीन ना लगवाने वाले लोग कोरोना के नए वेरिएंट से संक्रमित होते हैं तो यह खतरे की बात हो सकती है।