किरायेदारी कानून को मंजूरी, जानें क्या है कैसे होगा फायदा

संपत्ति को किराये पर देने से पहले मकान मालिक और किरायेदार के बीच लिखित समझौता अनिवार्य होगा। इस कानून को सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने यहां लागू कर सकेंगे। यह कानून किरायेदार और मकान मलिक दोनों को समान अधिकार देता है। इससे शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में खाली पड़ीं एक करोड़ से ज्यादा प्रॉपर्टी को किराये पर चढ़ाया जा सकेगा। इस नए मॉडल कानून का खाका सबसे पहले 2019 में जारी किया गया था। मंत्रिमंडल के बुधवार के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि इस नए कानून से पुरानी व्यवस्था प्रभावित नहीं होगी। पगड़ी व्यवस्था पर भी असर नहीं पड़ेगा। पहले से जो लोग किराए पर रह रहे हैं या जिन्होंने अपनी प्रॉपर्टी किराये पर चढ़ा रखी है उन पर भी यह लागू नहीं होगा। यह मॉडल कानून है और यह राज्यों पर निर्भर करता है कि वह इसे अपने यहां लागू करें या ना करें। -कोई भी व्यक्ति बिना लिखित समझौते के अपनी प्रॉपर्टी को न तो किराये पर दे सकेगा और न ही ले सकेगा। -इसमें किराये की राशि को लेकर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं होगा। मकान मालिकों में प्रॉपर्टी को किराये पर देने के लिए ज्यादा भरोसा पैदा होगा। जो भी लिखित समझौता होगा उसे रेंट अथॉरिटी के सामने जमा करना होगा। यह शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों पर समान रूप से प्रभावी होगा। किरायेदार और मकान मालिक के बीच विवाद होने पर तय समयावधि (60 दिन) में निपटारे की भी व्यवस्था। किरायेदार को प्रॉपर्टी को किसी और को किराये पर देने से पूर्व मकान मालिक की अनुमति लेनी जरूरी होगी। अनुमति के बगैर वह प्रॉपर्टी में निर्माण संबंधी बदलाव नहीं कर सकेगा। विवाद की स्थिति में भी किरायेदार को किराया देना होगा। इस दौरान उसे प्रॉपर्टी खाली नहीं करनी होगी। किसी बड़ी घटना की स्थिति में भी मकान मालिक को किरायेदार को एक महीने तक बने रहने की अनुमति देनी होगी। एक्ट में आवासीय प्रॉपर्टी के लिए दो महीने की धरोहर राशि (सिक्योरिटी डिपॉजिट), जबकि वाणिज्यिक प्रॉपर्टी के लिए छह महीने की धरोहर राशि जमा करने की भी व्यवस्था की गई है। नए मॉडल टेनेंसी एक्ट में राज्यों को संबंधित अथॉरिटी बनाने का प्रस्ताव किया गया है। राज्य सरकार किराये की प्रॉपर्टी को लेकर किसी विवाद के जल्द समाधान के लिए रेंट कोर्ट और रेंट ट्रिब्यूनल भी बना बनाएंगे। इनको डिप्टी कलेक्टर या उसके समकक्ष रैंक के अधिकारी हेड करेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *