जालंधर,(विशाल/ रोजाना आजतक)-जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने शुक्रवार को कृषि अध्यादेशों के विरोध में केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के मोदी कैबिनेट से त्याग पत्र को महज औपचारिकता बताया। उन्होंने दावा किया कि हरसिमरत कौर के इस्तीफे के अल्फाज यह बयां करते हैं कि केवल दिखावे के लिए ही इस्तीफा दिया गया है। हकीकत कुछ और ही है। शुक्रवार को वर्चुअल किसान मेले में शामिल होने के बाद डीसी ऑफिस के कॉन्फ्रेंस हॉल में पत्रकारों से बातचीत करते हुए रंधावा ने कहा कि वर्ष 2013 में प्रकाश सिंह बादल भी कांट्रेक्ट फार्मिंग एक्ट लेकर आए थे, जो सीधे रुप से किसान विरोधी एक्ट था। मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि अध्यादेश भी लगभग इसी तरह की एक्ट है।रंधावा ने कहा कि वह खुद किसान हैं और उनके पिता भी किसान थे। यही कारण है कि वह किसान के दर्द को समझते हैं। कृषि या फिर किसानों को लेकर किसी भी तरह का बिल पास करने से पहले किसान संगठनों और पंजाब सरकार की सहमति लेना जरूरी था। इसका सबसे कारण यह है कि पंजाब देश भर में सबसे अधिक कृषि प्रधान सूबा है। ऐसे में यह बिल निश्चित रूप से किसानों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि हरसिमरत कौर बादल से अधिक कुर्बानी उन किसानों की हैं जो भीषण गर्मी के बीच सड़कों पर धरना लगाकर रोष जता रहे हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर इस बिल के खिलाफ वह भी इस्तीफा देने को तैयार रहेंगे।