बगैर सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के कोई भी कंबाईन दिखी तो तुरंत जब्त की जाएगीः डीसी

जालंधर, (विशाल/रोजाना आजतक)-पर्यावरण को पराली जलने के कारण पैदा होने वाली जहरीली गैसों से बचाने के लिए जिला प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है, जिसके तहत बगैर सुपर एसएमएस के खेतों में कंबाईन के इस्तेमाल पर पूर्ण तौर पर पाबंदी लगाई गई है। अगर कोई भी कंबाईन बगैर सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के चलते हुई दिखी तो उसे तुरंत जब्त कर लिया जाएगा। ये जानकारी जालंधर के डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी ने दी। उन्होंने बताया कि इस कार्रवाई के लिए स्पेशल टीमों का गठन किया गया है जोकि फील्ड में जाकर चेकिंग करेंगी और बगैर सुपर एसएमएस के चल रही कंबाईनों पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी।डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि कोरोना वायरस महामारी के दरमियान पराली को आग लगाने की घटनाओं पर नकेल लगाना समय की मांग है क्योंकि यह घटनाएं वातावरण को दूषित करके पहले से ही बीमार लोगों की तबीयत और खराब कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्य में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और बगैर सुपर एसएमएस के चलने वाली हरेक कंबाईन जब्त होगी और संबंधित कंबाईन ऑपरेटर के खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा, साथ ही उसे भारी जुर्माना भी लगाया जाएगा।थोरी ने बताया कि ज्यादातर कटाई मैनुअल तरीके से कंबाईनों का इस्तेमाल करके की जाती है लेकिन कंबाईन के पीछे सुपर एसएमएस लगाने से यह धान की पराली को इतने छोटे-छोटे टुकड़ों में काटता है कि इसे जलाने की जरूरत नहीं पड़ती। इसके बाद दूसरी मशीनों का इस्तेमाल करके गेहूं की बिजाई डायरेक्टर की जा सकती है, जिस दौरान मौजूदा पराली के छोटे-छोटे टुकड़ों को खेतों में ही जोत दिया जाता है। उन्होनें किसानों व कंबाईन संचालकों से आगे आकर सरकार द्वारा उपलब्ध सुपर एसएमएस स्कीम पर 50 फीसदी सब्सिडी का फायदा उठाने की अपील की ताकि इस सिस्टम का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जा सके। मुख्य खेतीबाड़ी अधिकारी डॉ. सुरिंदर सिंह ने बताया कि इस मशीन की कीमत 1.15 लाख रुपए है, जिस पर सरकार की तरफ से 50 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है, जोकि किसानों को इस मशीन को खरीदने के लिए एक बड़ी आर्थिक मदद है। उन्होंने बताया कि इस वक्त जिले में 4.25 लाख हैक्टेयर भूमि धान की फसल के अधीन है, जिस पर 12.75 लाख टन पराली पैदा होती है। इसलिए सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम की जरूरत पर बल देते हे उन्होंने कहा कि पराली प्रबंधन को लेकर मौजूदा दौर में यह बेहतरीन तकनीक है, जोकि खेतों में पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगा सकती है।

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